किसान हुए परेशान, केले के उत्पादन में आई कमी, बागों में लगे कई रोग

महाराष्ट्र में केला उत्पादक किसानों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. पहले रोगों की कारण बागों को नुकसान हुआ और अब बढ़ती ठंड ने केले की मांग को कम कर दिया है, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है.

Update: 2022-02-05 02:47 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का सबसे ज्यादा असर बगीचों पर पड़ रहा है. अभी तक किसान विभिन्न रोगों पर दवाइयों का स्प्रे कर बागों (Orchards) को नुकसान से बचा रहे थे, लेकिन अब बढ़ती ठंड ने केले की मांग को कम कर दिया है, जिसके चलते किसानों (Farmer)को लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है. केला तीनों मौसम में उगाई जाने वाली एकमात्र फसल है. हालांकि इस साल फल लगने से शुरू हुआ संकटों का सिलसिला अब केले की कटाई के बाद भी जारी है. बेमौसम बारिश और जलवायु परिवर्तन के कारण केले के बागों पर कीटों और रोगों का प्रकोप बढ़ने लगा था. किसान जहां अभी तक इससे हुए नुकसान से उबरे ही नही थे कि वहीं अब कड़ाके की ठंड एक बार फिर से फसल के लिए घातक हो गई है. किसानों को हर साल 6 से 7 प्रति किलो केला का औसतन 50 रुपये का मूल्य मिलता था, लेकिन इस साल यह आधा हो गया है, क्योंकि उपभोक्ता बढ़ती ठंड के कारण केला खरीदने से दूर हो रहे हैं.

ऐसे करें केले के बाग की देखभाल
कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि जलवायु परिवर्तन का असर निकट भविष्य में उगाए जाने वाले केले पर भी पड़ रहा है, इसलिए इस ठंड के मौसम में फूल नहीं लगाने चाहिए. इसका कारण यह है कि अत्यधिक ठंड के कारण सर्दियों में केले के फूल का गुच्छा अच्छी तरह से विकसित नहीं होता है. ऐसे में किसानों को अपने बागों का ध्यान रखना ही एक विकल्प है.
ठंड के कारण बड़े पैमाने पर बागों को हो रहा नुकसान
इस समय ठंड से मराठवाड़ा में फसले नष्ट हो रही है. इसका असर रबी सीजन की फसल पर भी पड़ा रहा है. रबी मौसम की फसलों के लिए ठंड को पोषक तत्व माना जाता है, लेकिन किसानों को इस बात कि चिंता सता रही है कि कहीं ज्यादा ठंड होने पर फसल बर्बाद न हो जाये, क्योंकि बढ़ते ठंड और सूखे के कारण केले के बागों पर कीटों का प्रकोप देखा जा रहा है. ऐसे में जहां एक तरफ रेट कम देखी जा रही है, वहीं दूसरी ओर अब किसानों को केले के बाग लगाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. कई किसानों ने व्यापारियों की मांग के अनुसार केले की कटाई और भंडारण किया है, लेकीन अब व्यापारियों का कहना है कि ठंड के कारण उपभोक्ताओं की ओर से कोई मांग नहीं है.


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