आम के फलों से मोटी कमाई करने के लिए किसान आजमाए ये विधि, वैज्ञानिको ने रिसर्च के आधार पर दी जानकारी

फल वैज्ञानिक बताते हैं कि रिसर्च के आधार पर यह पूरी तरह साफ है कि फल तोड़ने पर पेड़ पूरी तरह कमजोर हो जाते हैं इसलिए इस वक्त उसके बगीचे का ख्याल रखना बेहद जरूरी है.

Update: 2021-07-05 06:47 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जीव और पेड़ पौधे दोनों की प्रकृति लगभग एक समान ही होती है. लेकिन जब जीव प्रजनन करता है तो उसको स्पेशल ट्रीटमेंट की जरुरत होती है. पेड़ पौधे में भी जब फल टूट जाए तो उसके बेहतर देखभाल होने से भविष्य में अच्छा परिणाम मिलता है. डाक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्विविद्यालय पूसा में लगातार वर्षों से फल पर रिसर्च कर रहे डाक्टर एस के सिंह बताते हैं कि पेड़ों से जब फल तोड़े जाएं तो उनका सही तरीके देखभाल की जरुरत होती है लेकिन हमारे यहां ऐसा नहीं होता है. इसीलिए उत्पादन गिर जाता है.

आइए जानें आम का उत्पादन बढ़ाने से जुड़ी टिप्स
(1) आम टूटते ही पेड़ से 5 से 10 फीसदी कटाई छटाई अवश्य करनी चाहिए. जिन टहनियों से आम तोड़ते है उसकी ऊपर से कम से कम 10 से 15 सेमी लम्बाई में कटाई करने से उसमें नई टहनी निकती है जिसमे फल लगते है. उपरी टहनियों की कटाई छटाई लीची में बहुत कॉमन है लेकिन आम में ऐसा नहीं होता है.
(2) हर साल फल आये यह सुनिश्चित करने के लिए कल्टार (पंक्लोब्युट्राझॉल ) के प्रयोग करने की विधि जानना आवश्यक है. यह एक विकास निरोधक हार्मोन होता है.यह विकास निरोधक हार्मोन वनस्पतिक विकास रोक कर हर साल पुष्पन और फलन बढाता है. कल्टार की निश्चित मात्रा का उपयोग करते समय पेड़ की आकार को ध्यान रखना चाहिए. इस के लिए पेड़ का कुल विस्तार मापकर उसके आधार पर कल्टार की मात्रा निर्धारित की जा सकती है.
(3) साधारण रूप से पेड़ के फैलाव के प्रति मीटर व्यास के हिसाब से 3 से 4 मी.ली. कल्टार/ 20 लीटर पानी में घोलकर, आम के पेड़ के मुख्य तने के पास की मिट्टी में प्रयोग करते है. पेड़ का व्यास 2 मीटर होने पर दवा एवं पानी की मात्रा दुगुनी कर देते है, तीन मीटर होने पर दवा एवं पानी की मात्रा तीन गुणा कर दें. इसी प्रकार मात्रा में बढोत्तरी कर लें. पहले साल इस दवा की पूरी मात्रा प्रयोग करते है, जबकि दुसरे साल दवा की मात्रा आधा कर देते है ,तीसरे साल एक तिहाई एवं चौथे साल चौथाई मात्रा ही प्रयोग में लाते है,
(4) पांचवें साल दवा की पूरी मात्रा प्रयोग करते है. कल्टार के प्रयोग से इसकी पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद ही इसका प्रयोग करना चाहिए. इसके गलत प्रयोग से फायदा की जगह नुकसान भी हो सकता है , कभी कभी पेड़ सुख भी सकता है,अतः इसका प्रयोग हमेशा वैज्ञानिक देखरेख में ही होना चाहिए .
(5) डाक्टर सिंह के मुताबिक आम के पेड़ में शूट गाल कीट तराई क्षेत्रों में ज्यादा लगती है या जहाँ नमी अधिक होती है. इस कीट के नियंत्रण के लिए जुलाई –अगस्त का महीना बहुत महत्वपूर्ण है. अगस्त के मध्य में मोनोक्रोटोफॉस /डाइमेथोएट (1मिली लीटर दवा /2 लीटर पानी ) का छिड़काव करें. बाग में मकड़ी के जाले को साफ करना चाहिए और प्रभावित हिस्से को काटकर जला देना चाहिए. अधिक वर्षा एवं नमी ज्यादा होने की वजह से लाल जंग रोग (रेड रुस्ट ) और एन्थ्रेक्नोज रोग ज्यादा देखने को मिलता है इसके नियंत्रण के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3ग्राम /लीटर पानी) का छिड़काव करें.
इतनी मेहनत के बाद आम का पेड़ फिर पूरे ताकत के साथ अगले सीजन में आम देने के लिए तैयार हो जाएंगे और अच्छे मंजरी और फल भी लगेंगे.


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