जिस क्षेत्र में बारिश में कमी आई वहा के किसान को अच्छा Profits

Update: 2024-08-02 12:02 GMT

Business बिजनेस: किसान मानसून के मौसम में चावल उगाते हैं। लेकिन अनुकूल वर्षा नहीं होने के कारण किसान धान की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं. पलामू जिले में किसान धान की रोपनी नहीं कर पा रहे हैं. वर्षा छाया क्षेत्र के कारण यहाँ वर्षा कम होती है। वहीं, पिछले तीन सालों में बारिश में भारी कमी आई है। ऐसे में किसान अपने दिमाग का इस्तेमाल कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. धान की रोपाई जुलाई माह में की जाती है। पलामू जिले में चावल की खेती के लिए 51,000 हेक्टेयर भूमि का अच्छा लक्ष्य Good Goal है. लेकिन पिछले तीन सालों से अच्छदान में लगातार गिरावट आ रही है। इस साल जुलाई तक एक फीसदी भी धान की रोपाई नहीं हुई है. पलामू जिले में 66 फीसदी कम बारिश हुई है. ऐसे में किसानों के खेत खाली रह जायेंगे. किसान अपने खेतों में कुलथी की खेती कर सकते हैं. कुलथी की खेती से किसानों को दोगुना मुनाफा मिलेगा. सहिजन की खेती का उपयुक्त समय 15 अगस्त से 15 सितम्बर तक है। किसान इसके लिए अपने खेत तैयार कर सकते हैं. सरकार खेत खाली होने की स्थिति में आकस्मिक योजना के तौर पर इसकी खेती की योजना भी तैयार कर रही है. ऐसे में किसान इसे उगाकर दोगुना मुनाफा कमा सकते हैं. सहिजन उगाने से पहले सबसे पहले ऐसे खेत का चयन करें जिसमें जल निकासी की सुविधा हो। किसान इसे मध्यम आकार की भूमि पर भी उगा सकते हैं। रोटाबेटर से खेत की अच्छी तरह जुताई करें. जिसमें किसान 20:40:20:20 की मात्रा में एनपीकेएस डाल सकते हैं।

सहिजन की फसल 90 दिनों तक चलती है।
खेती के लिए किसान बिरसा कुलथी 1, एलजी 19, इंदिरा कुलथी 1 चुन सकते हैं. यह फसल कम समय में तैयार हो जाती है. इसलिए किसान इसकी खेती कर रवि की फसल भी ले सकते हैं. इसकी फसल अवधि 90 से 100 दिन है. इसकी खेती के लिए दो बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए. इसके लिए किसान बीज बोने के 20 दिन बाद और दोबारा 40 दिन बाद ऐसा कर सकते हैं. इस फसल की लागत बहुत कम है। बीज 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से लगाया जा सकता है. जिसमें लागत करीब 15 हजार रुपये है. लाभप्रदता की दृष्टि से प्रति हेक्टेयर 8 से 10 क्विंटल उत्पादन होता है। जिससे 30 से 40 हजार रुपये का मुनाफा हो जाता है.
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