किसान रेल से किसानों मिल रहा है लाभ

कृषि उपज को उचित बाजार मिले तो उत्पादन दोगुना हो जाता है. मराठवाड़ा में जालना जिले को मौसंबी जिले के रूप में जाना जाता है

Update: 2022-02-25 06:47 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |  कृषि उपज को उचित बाजार मिले तो उत्पादन दोगुना हो जाता है. मराठवाड़ा में जालना जिले को मौसंबी जिले के रूप में जाना जाता है यह के अच्छे वातावरण के कारण जिले के खट्टे फलों का स्वाद ही अलग होता है. यहां के मौसंबी कि मांग महाराष्ट्र के साथ अन्य राज्यों से भी होती है.खट्टे फलों के उचित बाजार की आवश्यकता को समझते हुए शुरू की गई किसान रेल (Kisan Rail) ने सही मायनों में इससे किसानों को लाभ पहुंचाना शुरू कर दिया है इस साल किसानों को विपरीत परिस्थितियों में इसकी आवश्यकता पड़ी थीं.वहीं, खट्टे फलों की कटाई के साथ ही किसान रेल के शुरू होने से सही बाजार और माल के समय पर परिवहन से किसानों (Farmer)की आय में वृद्धि हो रही है.इस सीजन में तीन किसान रेलवे चली है जिसमें 10 टन से ज्यादा मौसंबी दूसरे राज्य,और अन्य जगहों पर माल पहुचा है.इस सुविधा से मौसंबी (Sweet lemon) फल को कम कीमत पर बाजारो में पहुंचाया जा रहा हैं.

20,000 हेक्टेयर में मौसमी के बाग
जालना जिले की जलवायु साइट्रस उत्पादन के लिए अनुकूल माना जाता है इस साल प्रकृति की विषमताओं का सामना करते हुए किसानों ने बड़ी मुश्किल और अधिक लागत के साथ बागों की खेती की है अभी 20 हजार 155 हेक्टेयर में मोसमी है पिछले साल 1 लाख 34 हजार मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था ,ऐसे में किसानों को अपने उपज के लिए सही बाजार की जरूरत होती है जालना जिले के किसानों की इसी जरूरत को समझते हुए केंद्र सरकार ने यहां किसान रेलवे की व्यवस्था की है.और अब किसानों को कम परिवहन लागत और उच्च दरों का दोहरा लाभ मिल रहा है.
किसान रेलवे से मुख्य बाजार तक 10 टन मोसमी पहुचते है
मोसमी तोड़न का समय आया तब से ही किसान ट्रेन की सेवा शुरू हुई है.जनवरी को जिले से पहली किसान रेलवे गुजरी सोमवार को तीसरी ट्रेन अगरतला के लिए रवाना हुई इस बीच, किसानों के पास मोसमी फल बाजार में अधिक कीमतों पर बेचने का अवसर मिला अगरतला शहर इस मोसमी का मुख्य बाजार माना जाता है इस बाजार में कीमत अधिक होने के कारण तीसरे रेलवे के माध्यम से 10 टन मोसमी फल का परिवहन किया जा चुका है.
भौगोलिक वर्गीकरण के कारण विदेशों में अच्छे दर मिलते है
जालना जिले में केंद्र सरकार ने मोसमी के क्षेत्र और गुणवत्ता की पहचान करके एक भौगोलिक रेटिंग दी है इसलिए जालना से मोसमी की काफी मांग रहती है.मराठवाड़ा की तुलना में विदेशों में इसकी अधिक मांग और अधिक कीमत मिलती है जालना बाजार में मोसमी की कीमत 20,000 रुपये से 27,000 रुपये प्रति टन है वही अगरतला बाजार में 35,000 रुपये यही कि 8 से 10 हजार प्रति टन का अंतर होने से किसानों का उत्पादन बढ़ता है कृषि विशेषज्ञों का कहना है जालना में मोसमी उत्पादकों के लिए किसान रेलवे मिलने से किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है.


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