आपके घर पर आकर किसान उगाएगा ताजा मशरूम, जानिए कैसे
महंगाई के कारण मशरूम खाने से परहेज करने वालों के लिए अच्छी खबर है
Mushroom cultivation-महंगाई के कारण मशरूम खाने से परहेज करने वालों के लिए अच्छी खबर है अब वेज खाने वालों को मशरूम उनके घर में मिल पाएगा. और गमले में ही मशरूम की खेती हो पाएगी महीनों तक तोड़ तोड़ कर खा सकेंगे.
डाक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्याल (Dr. Rajendra Prasad Central Agricultural University) पूसा समस्तीपुर के कुलपति डाक्टर रमेश चंद्र श्रीवास्तव किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिए नई नई योजना पर अपने यूनिवर्सिटी में रिसर्च करा रहे हैं.
अब गमले में मशरूम (Mushrooms) की योजना पर विशेष रिसर्च चल रही है. डॉक्टर श्रीवास्तव ने टीवी9 डिजिटल को खास बातचीत में बताते हैं कि शहरों में रहने वाले बुजुर्गों और सामान्य परिवारों के लिए मशरूम की खेती पर शोध किया जा रहा है.
उनके घरों में ही मशरूम कैसे उपलब्ध हो सके. इसके लिए मशरूम को खेती के लिए घरों के कोने में छोटे गमले में मशरूम का बैग तैयार कर लगाया जा सके इसके लिए गमले तैयार किए जा रहे हैं यह गमले सामान्य गमले से अलग होंगे क्योंकि मशरूम के किस वैरायटी को कब लगाना है उसी के लिए गमले तैयार करने पर रहे हैं.
आइए जानें इसके बारे में …
डाक्टर रमेश बताते हैं कि किसानों के खेतों में अरहर की खेती खूब होती है. अरहर तैयार होने के बाद उनके अवशेष सिर्फ जलावन के लिए ही इस्तेमाल किए जाते हैं.
यूनिवर्सिटी उस अवशेषों को कैसे व्यावसायिक इस्तेमाल किया जाए इस पर काम कर रही है. जैसे उसके अवशेषों से घरों के साज सज्जा (furnishings )के समान बनाए जा रहे हैं उसमें कामयाबी के बाद अब उसके अवशेषों से ही गमले तैयार किए जा रहे हैं. जोकि तापमान को लेकर काफी संवेदनशील होंगे.
बिहार के मशरूम मैन वैज्ञानिक डाक्टर दयाराम जो कि पूसा यूनिवर्सिटी में की देखरेख में ही इस प्रोजेक्ट पर रिसर्च किया जा रहा है. टीवी9 को बताते हुए डाक्टर दयाराम बताते हैं कि इस योजना के तहत घरों में गमले ऱखने वाले पूरे साल मशरूम खा सकेंगे. सिर्फ सब्जियां ही नहीं बल्कि उनके 1 दर्जन से अधिक उत्पाद भी बना कर खाएंगे.
डाक्टर दयाराम के मुताबिक मशरूम आपके घर में ही किसान तैयार कर गमले लाएंगे और उसे लगाकर जाएंगे. उसको समय समय पर अपेक्षित पानी जैसे आप दूसरे पौधे में देते हैं वैसे ही उसे भी देंगे , एक बैग ओयेस्टर के लिए गमले चारों तरफ खुले होंगे. जबकि बटन मशरूम के लिए ऊपर का हिस्सा ही खुला रहेगा.
इसमें पानी को अब्जार्ब करने की कैपेसिटी (Capacity) होनी चाहिए. ताकि नमीं आवश्यकता के मुताबिक ही हो. उसके साथ ही बटन मशरूम के लिए टेंपरेचर (temperature)भी महत्वपूर्ण फैक्टर है तो उसे किस जगह रखा जाए और आस पास गंदगी भी न हो इसका भी विशेष खयाल रखा जाएगा. फिलहाल 3 वैरायटी तैयार होंगे ,
एक घर में परिवार के सदस्यों को ध्यान में रखते हुए 5 बैग लगाए जा सकते हैं जैसे दिसंबर में लगाकर फरवरी तक खाते रहेंगे. पांच बैग में तकरीबन 4 किलों से 5 किलो मशरूम का उत्पादन होगा. जिसे तीन महीने में खाते रहे हैं और पड़ोसियों को भी खिलाएं. फिर दूसरे गमले दो महीने चलेंगे. एक गमले में पर सिर्फ 70 रुपये से 100 रुपये का खर्च आएगा उससे एक किलो तक निकलेगा. 200 रुपये तक की कीमत की फसल तैयार होगी. वो भी अपनी सुविधा के हिसाब से खाते रहेंगे.