पेट्रोलियम उत्पादों पर चार महीनों में 48 प्रतिशत बढ़ा उत्पाद शुल्क कलेक्शन

देश में ईंधन की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं

Update: 2021-09-05 10:05 GMT

देश में ईंधन की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं. इस बीच खबर आई है कि सरकार का पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क कलेक्शन चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में 48 प्रतिशत बढ़ा है. इस दौरान हासिल हुआ अतिरिक्त कलेक्शन पूरे वित्त वर्ष के दौरान तेल बॉन्ड देनदारी का तीन गुना है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जुलाई 2021 के दौरान उत्पाद शुल्क कलेक्शन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 67,895 करोड़ रुपये था.

वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था लागू होने के बाद उत्पाद शुल्क केवल पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और प्राकृतिक गैस पर लगाया जाता है. इन उत्पादों को छोड़कर अन्य सभी वस्तुएं और सेवाएं जीएसटी के अंतर्गत आती है.
तेल बॉन्ड देनदारी का तीन गुना
वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार महीनों (अप्रैल-जुलाई) में 32,492 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई. यह पूरे साल की तेल बॉन्ड देनदारी यानी 10,000 करोड़ रुपये का तीन गुना है. कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार ने पेट्रोलियम ईंधन पर सब्सिडी देने के लिए तेल बॉन्ड जारी किए थे. उद्योग सूत्रों ने कहा कि उत्पाद शुल्क कलेक्शन का बड़ा हिस्सा पेट्रोल और डीजल पर उपकर से आता है.
बिक्री में तेजी के साथ ही चालू वर्ष में संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक बढ़ सकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में इन ईंधनों पर दी गई भारी सब्सिडी के एवज में किए जा रहे भुगतान के कारण पेट्रोल, डीजल के दाम में कमी की ज्यादा गुंजाइश नहीं बची है.
यूपीए सरकार ने जारी किए थे तेल बॉन्ड
यूपीए सरकार में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की बिक्री उनकी वास्तविक लागत से काफी कम दाम पर की गई थी. तब की सरकार ने इन ईंधनों की सस्ते दाम पर बिक्री के लिए कंपनियों को सीधे सब्सिडी देने के बजाय 1.34 लाख करोड़ रुपये के तेल बॉन्ड जारी किए थे. उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर निकल गए थे.
कितना करना है तेल बॉन्ड का भुगतान
सरकार को चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 10,000 करोड़ रुपये, 2023-24 में 31,150 करोड़ रुपये और उससे अगले साल में 52,860.17 करोड़ तथा 2025-26 में 36,913 करोड़ रुपये का भुगतान तेल बॉन्ड को लेकर करना है. सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क को पिछले साल 19.98 रुपये से बढ़ाकर 32.9 रुपये प्रति लीटर कर दिया. महामारी के दौरान जहां एक तरफ मांग काफी कम रह गई, वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम गिर गए. ऐसे में सरकार ने उत्पाद शुल्क बढ़ाया.
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने पिछले महीने संसद को बताया कि केन्द्र सरकार को पेट्रोल और डीजल से टैक्स प्राप्ति 31 मार्च को समाप्त वर्ष में 88 प्रतिशत बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई. यह एक साल पहले 1.78 लाख करोड़ रुपये रही थी. महामारी पूर्व वर्ष 2018-19 में यह 2.13 लाख करोड़ रुपये रही थी.
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