सभी असंगठित कामगारों का डाटाबेस तैयार करेगा ई-श्रम पोर्टल, आखिर क्या मिलेगा लाभ?
केंद्रीकृत डाटा बेस के फायदे
असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सरकारी योजना का पूरा फायदा देने के लिये सरकार एक केंद्रीकृत डाटा बेस बना रही है. ये डाटा बेस ई-श्रम पोर्टल के द्वारा तैयार किया जायेगा. पोर्टल की शुरुआत के साथ श्रमिकों के इसमें तेजी के साथ जुड़ने के बाद डाटा बेस बनाने का फैसला लिया गया है.
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा इस साल अगस्त में शुरू किए गए ई-श्रम पोर्टल पर असंगठित क्षेत्र के 25 प्रतिशत कामगारों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया है. अब तक हुए कुल रजिस्ट्रेशन में लगभग 52 प्रतिशत महिलाएं हैं. संख्या के हिसाब से देखें तो ई-श्रम पोर्टल के शुरू होने के तीन महीने के अंदर 11 करोड़ 94 लाख 20 हजार 932 असंगठित श्रमिकों ने खुद को रजिस्टर्ड करा लिया है.
3 महीने में करीब 12 करोड़ श्रमिक पोर्टल से जुड़े
फिलहाल देशभर में संगठित और असंगठित क्षेत्र में लगभग 50 करोड़ कामगार हैं, जिसमें से 90 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में हैं. इसका मतलब है कि असंगठित क्षेत्र के लगभग 26 प्रतिशत श्रमिक पोर्टल पर रजिस्टर्ड हो चुके हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इन पंजीकृत श्रमिकों में से 41 प्रतिशत ओबीसी, 27 प्रतिशत सामान्य वर्ग, 22 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 8.96 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति से हैं. वहीं कुल पंजीकृत असंगठित श्रमिकों में से 51 प्रतिशत कृषि क्षेत्र के, 17 प्रतिशत अन्य, 11 प्रतिशत कंस्ट्रक्शन वर्कर्स, 9.56 प्रतिशत घरेलू और हाउसहोल्ड वर्कर्स, और 6.46 प्रतिशत कपड़ा सेक्टर से हैं.
केंद्रीकृत डाटा बेस के फायदे
व्यवस्थित आंकड़ों की कमी से बड़ी संख्या में असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिल पाता था. वहीं फर्जीवाड़ा होने से रकम गलत हाथों में पड़ने या फिर योजनाओं का पैसा बिना इस्तेमाल रखे रहने की भी आशंकाएं बढ़ जाती थीं इन सबसे निपटने के लिये सरकार ये केंद्रीकृत डेटाबेस तैयार कर रही है. सरकार को उम्मीद है कि सामाजिक सुरक्षा सेवाओं को लागू करने की दिशा में यह डाटाबेस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. केंद्र सरकार, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 को लागू करने और अधिक से अधिक श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में लाने के लिए यह काम कर रही है.
किन श्रमिकों की जानकारी शामिल होगी डाटा बेस में
घरों में काम करने वाले, स्वरोजगार करने वाले, या असंगठित क्षेत्र में मजदूरी करने वालों को असंगठित श्रमिक कहा जाता है. इसके अलावा संगठित क्षेत्र में काम करने वाले ऐसे लोग जो ESIC या EPFO के सदस्य नहीं है और जो सरकारी कर्मचारी नहीं है उनको भी असंगठित श्रमिक माना जाता है. सरकार इन्ही लोंगों के आंकड़े जुटा रही है. इसमें कंस्ट्रक्शन, माइग्रेंट, गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर, स्ट्रीट वेंडर्स, डोमेस्टिक और एग्रीकल्चर वर्कर्स शामिल हैं.