पुण्यतिथि: धीरूभाई अंबानी ने महज 500 रुपये से शुरू किया कारोबार, मुकेश ने समझदारी से रिलायंस को बनाया बड़ा
धीरूभाई अंबानी ने महज 500 रुपये से शुरू किया कारोबार
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Death Anniversary: आज रिलायंस इंडस्ट्रीज देश ही नहीं बल्कि दुनिया की दिग्गज कंपनी है। कंपनी की बादशाहत पेट्रोलियम से लेकर मोबाइल, रिटेल, टेक्सटाइल आदि क्षेत्र में है। कंपनी की कारोबारी सफलता का आकलन इसी से लगाया जा सकता है कि आज रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप 16 लाख करोड़ रुपये के पार है। इन सब के बीच क्या आपको पता है कि रिलायंस की स्थापना करने वाले स्व. धीरूभाई अंबानी ने मात्र 500 रुपये से बिजनेस की शुरुआत की थी। आज (6 जुलाई) उनकी पुण्यतिथि है। पुण्यतिथि विशेष पर हम धीरूभाई अंबानी के फर्श से अर्श तक का सफर को आपसे साझा कर रहे हैं। साथ ही यह भी बताएंगे कि धीरूभाई अंबानी के बाद कैसे मुकेश अंबानी ने और बड़ा कारोबारी साम्राज्य खड़ा किया है।
गुजरात के एक छोटे से कस्बे में हुआ था जन्म
धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1933 को गुजरात के छोटे से कस्बे में हुआ था। उनका पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था। घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए, उन्होंने हाईस्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद ही छोटे-मोटे काम करने शुरू कर दिए। महज 17 साल की उम्र में पैसे कमाने के लिए वह अपने भाई रमणिकलाल के पास यमन चले गए और पेट्रोल पंप पर काम शुरू किया। उनकी सैलरी 300 रुपये प्रति माह थी। जानकार बताते हैं कि भले ही धीरूभाई महज 300 रुपये की नौकरी करते थे, लेकिन उनकी सबसे बड़ी खासियत थी कि वे बहुत बड़ा सोचते थे और उसे अंजाम देते थे। वे मानते थे कि इंसान के पास बड़े से बड़ा लक्ष्य और दूसरे को समझने की काबिलियत होनी चाहिए।
महज 500 रुपया लेकर पहुंचे थे मायानगरी
धीरूभाई हमेशा कुछ अलग करने में विश्वास रखते थे। इसलिए वे यमन से 1954 में भारत लौट आए। अपना कारोबार करने के सपने लेकर वह मायानगरी यानी मुंबई पहुंच गए। उस समय उनके पास महज 500 रुपये थे। हालांकि, उन्हें भारीतय बाजार की अच्छी समझ थी और उन्होंने महसूस किया कि भारत में पोलिस्टर की मांग सबसे ज्यादा है। वहीं, विदेशों में भारतीय मसालों की मांग काफी अधिक है। उन्होंने अपना करोबार शुरू करने का सोचा। धीरू भाई ने चचेरे भाई चंपकलाल दिमानी की मदद से रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन कंपनी बनाई। इस कंपनी के जरिये वे पश्चिमी देशों में अदरक, हल्दी और अन्य मसालों का निर्यात करने लगे। यहां से धीरूभाई अंबानी ने ऐसे कदम बढ़ाए कि फिर कभी पीछे पलटकर नहीं देखा।
रिलायंस को दिग्गज कंपनी बनाने की कहानी
धीरूभाई अंबानी ने सबसे पहले अपनी कंपनी का नाम रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन रखा। इस कंपनी के जरिए धीरूभाई अंबानी ने भारत में विदेशी पोलिस्टर और विदेशों में भारत के मसाले बेचने शुरू किये। कुछ समय बाद उन्हें लगा कि मसालों की बजाय अगर सूत का व्यापार करें, तो अधिक फायदा होगा। उन्होंने नरोदा में एक वस्त्र निर्माण इकाई शुरू की। यहां से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। धीरूभाई ने विमल ब्रांड की शुरुआत की जो कि उनके बड़े भाई रमणिकलाल अंबानी के बेटे, विमल अंबानी के नाम पर रखा गया था। फिर इसका नाम बदलकर रिलायंस टेक्सटाइल्स प्राइवेट कर दिया। हालांकि, वह इससे भी संतुष्ट नहीं थे। अंत में उन्होंने इसका नाम रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड कर दिया। 1996 में रिलायंस भारत की ऐसी पहली निजी कंपनी बन गई जिसकी S&P, मूडीज जैसी इंटरनेशनल क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने रेटिंग करनी शुरू की।
मुकेश अंबानी ने रिलायंस का साम्राज्य और बड़ा किया
धीरूभाई अंबानी ने जरूर अपने खून-पसीने से सींच कर रिलायंस को खड़ा किया लेकिन उसको बड़ा बनाने में मुकेश अंबानी के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आज रिलायंस इंडस्ट्रीज न सिर्फ पेट्रोलियम की दुनिया में बल्कि डिजिटल, मोबाइल, रिटेल और ग्रीन एनर्जी में अपना परचम लहरा रही है। इसका श्रेय मुकेश अंबानी को जाता है। मुकेश अंबानी ने अपनी सूझबूझ से रिलायंस का करोबार लगातार विस्तार कर रहे हैं। टेलिकम्युनिकेशन के साथ जियोमार्ट के जरिए रिटेल बिजनेस में रिलायंस तेजी से अपना दबदबा बना रही है। दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों ने रिलायंस के जियो प्लेटफॉर्म्स में निवेश किया है। रिलायंस अब पूरी तरह से कर्जमुक्त कंपनी बन चुकी है।