क्रिप्टोकरेंसी को ITR में विदेशी कमाई के तौर पर दिखा सकते हैं, जाने क्या कहता है नियम

अगर क्रिप्टो की माइनिंग करते हैं तो इसे भी ट्रेडिंग मानते हुए आईटीआर में दिखाना होगा. अगर आप क्रिप्टो को विदेशी एसेट में दिखाते हैं तो भी आईटीआर में जिक्र करना होगा.

Update: 2021-09-27 03:56 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अधिकांश एक्सपर्ट का मानना है कि आप क्रिप्टोकरेंसी से प्रॉफिट कमाएं या आपको घाटा हो, दोनों बातों को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में जरूर दिखाना चाहिए. हालांकि भारत में अभी क्रिप्टोकरेंसी वैध नहीं है, इसलिए यह साफ नहीं है कि क्रिप्टोकरेंसी के निवेश को आईटीआर में किस कॉलम में दिखाना चाहिए. अगर क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग न की गई हो और उस पर कोई घाटा या नफा न हुआ हो तो आईटीआर का क्या नियम होगा, अभी यह स्पष्ट नहीं है.

इनकम टैक्स का मौजूदा नियम कहता है कि आपकी जितनी भी कमाई हो, आपको अपनी सभी विदेशी प्रॉपर्टी की जानकारी आईटीआर में देनी होती है. सवाल है कि जब आप इस साल का आईटीआर भर रहे हैं तो उसमें क्रिप्टोकरेंसी के निवेश को दिखाना जरूरी है? इसके बारे में इनकम टैक्स का रूल कहता है कि अगर किसी व्यक्ति की नेट टैक्सेबल इनकम 50 लाख से अधिक है तो उसे अपनी संपत्ति और देनदारी की पूरी जानकारी आईटीआर फॉर्म में देनी होगी.
क्या कहते हैं नियम
दूसरा नियम कहता है कि अगर किसी व्यक्ति ने विदेशी स्टॉक में निवेश किया है, जैसे किसी अमेरिकी शेयर में पैसा लगाया है तो उसे अपनी पूरी संपत्ति और देनदारी का ब्योरा आईटीआर में देना होगा. उस व्यक्ति के पास कोई विदेशी संपत्ति हो या किसी विदेशी संपत्ति का लाभ लेता हो या देश से बाहर किसी अकाउंट में साइनिंग अथॉरिटी हो तो उसे आईटीआर में पूरी जानकारी देनी होगी. भले ही उसकी कुल कमाई टैक्स लिमिट से कम हो, लेकिन उसे विदेशी संपत्ति की पूरी जानकारी ITR में देनी होगी.
भारत में वैध नहीं है क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी को विदेशी कमाई में दिखाना चाहिए या नहीं, इस बारे में कहा जाता है कि अभी तक यही साफ नहीं है कि क्रिप्टोकरेंसी की होल्डिंग भारत की संपत्ति मानी जाएगी या विदेश की. अगर क्रिप्टोकरेंसी को विदेशी एसेट में माना जाए तो उसे आईटीआर में दिखाना होगा. भले ही उसकी कमाई जितनी भी हो, वह टैक्स के दायरे में आता है या नहीं. चूंकि क्रिप्टोकरेंसी को कोई वैध दर्जा नहीं मिला है, इसलिए ज्यादा संभावना है कि इसे एसेट या कॉमोडिटी में रखा जाएगा. अगर कोई व्यक्ति इसकी ट्रेडिंग करता है तो यह बिजनेस माना जाएगा और इससे होने वाली इनकम पर बिजनेस इनकम की तरह टैक्स लगेगा.
ब्लैक मनी एक्ट में फंसने की आशंका
क्रिप्टोकरेंसी की कमाई लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म किसमें मानी जाएगी, यह इस बात पर निर्भर करेगी कि उसे कितने दिनों बाद बेचा जा रहा है. उसी हिसाब से कैपिटल गेन्स देखते हुए टैक्स देना होगा. अगर क्रिप्टो की माइनिंग करते हैं तो इसे भी ट्रेडिंग मानते हुए आईटीआर में दिखाना होगा. अगर आप क्रिप्टो को विदेशी एसेट में दिखाते हैं तो भी आईटीआर में जिक्र करना होगा. अगर आप आईटीआर में क्रिप्टो को नहीं दिखाते हैं तो यह ब्लैक मनी एक्ट में आ सकता है और उसी हिसाब से आपके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है.
यै है टैक्स का नियम
3 साल के बाद अगर कोई व्यक्ति क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency investment) बेचता है तो उस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (long term capital gains) के हिसाब से टैक्स लगेगा. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 20 परसेंट का टैक्स देना होगा. अगर क्रिप्टोकरेंसी को 3 साल से पहले बेच जाता है तो उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (short term capital gains) के हिसाब से टैक्स लगेगा. अगर खरीद-बेच का काम बहुत ज्यादा है, यानी कि क्रिप्टोकरेंसी को तेजी से खरीद और बेचा जा रहा तो यह बिजनेस में आएगा. ऐसी स्थिति में बिजनेस मानकर ही उसका टैक्स देना होगा. अगर किसी ने क्रिप्टोकरेंसी खरीद कर रख लिया और कई साल बाद बेच रहे हैं तो यह निवेश की श्रेणी में आएगा और उसी हिसाब से टैक्स देना होगा.


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