देश में अप्रैल में 2 फीसदी घटा कच्चे तेल का उत्पादन, प्राकृतिक गैस उत्पादन में तेजी
देश में प्राकृतिक गैस उत्पादन अप्रैल माह में 22.7 फीसदी बढ़कर 2.65 अरब घन मीटर पर पहुंच गया
देश में प्राकृतिक गैस उत्पादन अप्रैल माह में 22.7 फीसदी बढ़कर 2.65 अरब घन मीटर पर पहुंच गया जो पिछले वर्ष इसी महीने में 2.16 अरब घन मीटर रहा था। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने बताया कि यह बढ़ोतरी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसके सहयोगी बीपी पीएलसी द्वारा पूर्वी अपतटीय केजीडी6 ब्लॉक में उत्पादन बढ़ाने से हुई है।
1.72 अरब घन मीटर रहा ओएनजीसी का उत्पादन
सरकारी कंपनी ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) का उत्पादन अप्रैल में 1.72 अरब घन मीटर रहा। निजी क्षेत्र और संयुक्त उद्यमों द्वारा संचालित गैस क्षेत्रों में उत्पादन तीन गुना बढ़कर 71.08 करोड़ घन मीटर हो गया। इसका बड़ा हिस्सा पूर्वी अपतटीय क्षेत्रों से 40.12 घन मीटर उत्पादन से आया है। मंत्रालय ने अलग-अलग उद्यमों द्वारा उत्पादन की जानकारी नहीं दी।
दो फीसदी घटा कच्चे तेल का उत्पादन
वहीं सरकारी कंपनी ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड द्वारा कम उत्पादन के कारण अप्रैल में कच्चे तेल का उत्पादन दो फीसदी घटकर 24.9 लाख टन पर रहा। तेल रिफाइनरियों ने हालांकि पिछले वर्ष अप्रैल के मुकाबले इस वर्ष अप्रैल में 35 फीसदी अधिक यानी 1.98 करोड़ टन कच्चे तेल को संसाधित किया।
रिलाइंस इतना किया उत्पादन
रिलाइंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने गुजरात के जामनगर में दो रिफाइनरियों ने इस दौरान 5.5 फीसदी कम यानी 50 लाख टन कच्चे तेल को संशोधित किया। जबकि नायरा एनर्जी ने 16 लाख टन कच्चा तेल संशोधित किया जो पिछली वर्ष अप्रैल के उत्पादन से 16.5 फीसदी अधिक है।
पिछले वर्ष आई थी उत्पादन में भारी कमी
सार्वजिक क्षेत्र की रिफाइनरियों ने अप्रैल में 62.2 फीसदी अधिक यानी 1.15 करोड टन कच्चे तेल का शोधन किया। पिछले वर्ष अप्रैल में कोरोना संक्रमण के कारण लगाए गए लॉकडाउन के कारण मांग कम रहने से तेल के उत्पादन में भारी कमी दर्ज की गई थी।
मालूम हो कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने जीएमआर समूह की दो बिजली कंपनियों की अर्जी पर खनिज गैस नीलामी के लिए जारी ओएनजीसी के निविदा आमंत्रण नोटिस (एनआईटी) और ई-नीलामी पर रोक लगा दी है। कंपनी की यह निविदा जो आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में कृष्णा-गोदावरी (केजी) बेसिन में उसके ब्लॉक से प्राकृतिक गैस की बिक्री से संबंधित है। जीएसआर समूह की कंपनियों का कहना है कि इस परियोजना से उन्हें पहले जितनी गैस आवंटित की गई थी वह अब तक नहीं मिली है जबकि उन्होंने ओएनजीसी पर भरोसा कर के एक हजार कारोड़ रुपये का निवेश कर रखा है।