आम आदमी को महंगाई से मिलेगी बड़ी राहत? जानें सरकार का प्लान

Update: 2022-05-24 06:25 GMT

नई दिल्ली: पेट्रोल, डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में बड़ी कटौती और रसोई गैस पर गरीबों को 200 रुपये की सब्सिडी देने के बाद केंद्र सरकार कुछ और राहतों पर विचार कर रही है। पूरे मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि एडिबल ऑइल जैसी चीजों पर कस्टम ड्यूटी घटाई जा सकती है। इसके अलावा आयात होने वाले कुछ कच्चे माल पर भी राहत मिल सकती है। इससे कई उत्पादों के दामों में कमी आ सकती है। कई आयातों पर एग्रिकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट सेस लगता है। उस पर भी कटौती किए जाने पर विचार चल रहा है। दरअसल सरकार महंगाई को थामने पर विचार कर रही है ताकि ब्याज दरों में इजाफा होने से अर्थव्यवस्था पटरी से न उतरने पाए।

वित्त मंत्रालय और पीएमओ के अधिकारियों ने पिछले सप्ताह इस संबंध में मीटिंग की थी। शायद उसके बाद ही पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस पर राहत का फैसला लिया गया। अब अगले चरण में कुछ और चीजों में राहत दी जा सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमारा टारगेट यह है कि महंगाई में 60 से 70 बेसिस पॉइंट्स की कमी कर दी जाए। माना जा रहा है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में ही कमी करने से 40 बेसिस पॉइंट्स तक की कमी आ सकती है। बता दें कि अप्रैल में रिटेल महंगाई दर बेकाबू होकर 8 सालों के शीर्ष पर पहुंचते हुए 7.79% हो गई थी। महंगाई दर के आंकड़ों में एक बेसिस पॉइंट का अर्थ 0.01 प्रतिशत होता है।
पाम ऑइल पर इंपोर्ट ड्यूटी को पहले ही सरकार कम कर चुकी है। कैनोला, राइस ब्रैन, ओलिव ऑइल आदि पर टैक्स कटौती किए जाने का विचार चल रहा है। इन सभी पर इंपोर्ट ड्यूटी में 35 फीसदी तक की कमी की जा सकती है। कुछ ऐसे रॉ मैटेरियल्स पर भी सरकार छूट देने का प्लान बना रही है, जिनके लिए भारत पूरी तरह से आयात पर ही निर्भर रहता है। फिलहाल सरकार ने कॉमर्स मिनिस्ट्री से उन उत्पादों की लिस्ट मंगाई है, जिन पर टैक्स में कटौती करके महंगाई में राहत दी जा सके। इसके अलावा सरकार की एक बड़ी कोशिश यह भी है कि पाम ऑइल पर निर्भरता कम की जा सके।
पिछले दिनों इंडोनेशिया ने पाम ऑइल एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था। अब भले ही इंडोनेशिया ने बैन हटा दिया है और कीमतों में कमी आ गई है, लेकिन अब सरकार इसके विकल्प के ही तलाश की कोशिश में जुटी है। भारत को हर साल 9 मिलियन टन पाम ऑइल का आयात करना पड़ता है। यह भारत की कुल ए़डिबल ऑइल की खपत का 40 फीसदी हिस्सा है। इसके अलावा यूक्रेन से सूरजमूखी के तेल का आयात भी 90 फीसदी तक प्रभावित हुआ है।
Tags:    

Similar News