चीन सरकार ने अलीबाबा कंपनी जैक मा के स्टॉक एक्सचेंज में आखिरी वक्त पर रोकी लिस्टिंग, जानें क्या है वजह

अलीबाबा चीन की सबसे बड़ी कंपनियों में एक है। इसके संस्थापक जैक मा वहां के सबसे धनी व्यक्तियों में एक हैं।

Update: 2020-11-05 12:45 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| अलीबाबा चीन की सबसे बड़ी कंपनियों में एक है। इसके संस्थापक जैक मा वहां के सबसे धनी व्यक्तियों में एक हैं। अब जबकि उन्होंने चीन का सबसे बड़ा बैंक बनाने का अपना सपना साकार कर लिया था, तभी चीन सरकार ने उनके कारोबार को एक झटका दे दिया। चीन सरकार ने उनके बैंक एन्ट ग्रुप की स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग को सस्पेंड कर दिया। इस कदम के पहले इस ग्रुप की कीमत 316 अरब डॉलर आंकी गई थी। अब कारोबारी दुनिया में ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि आखिर चीन सरकार ने ये कदम क्यों उठाया। खास कर उस हाल में जब अमेरिका से जारी चीन के व्यापार युद्ध में अलीबाबा कंपनी चीन के लिए एक बड़ा दांव साबित हो रही थी।

एन्ट ग्रुप के आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफर) को जबर्दस्त कामयाबी मिल रही थी। इससे ये संदेश गया कि चीन अब एक वित्तीय और तकनीकी महाशक्ति के रूप में उभर चुका है और अमेरिका को चुनौती देने के लिए तैयार है। लेकिन इसी बीच सरकार ने डंडा चला दिया। बीते सोमवार को जैक मा और उनके वरिष्ठ अधिकारियों को सरकारी अफसरों ने बुलाया। मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक सरकारी अफसरों ने उन्हें कड़ी फटकार लगाई।

इस खबर की अब दुनिया भर में चर्चा है। जानकारों ने ध्यान दिलाया है कि पिछले महीने जैक मा ने एक भाषण में चीन सरकार की कड़ी सार्वजनिक आलोचना की थी। ताजा कार्रवाई को उससे ही जोड़कर देखा जा रहा है। संभवतया चीन सरकार ने उद्यमियों को यह संदेश देने की कोशिश की है, वे भले अति धनवान सेलेब्रिटी हों, लेकिन वे सरकार की ओर से तय की गई सीमा का उल्लंघन करें, इसे मंजूर नहीं किया जाएगा।

जैक मा ने पिछले 24 अक्टूबर को एक व्यापार फोरम की बैठक में चीन के विनियामकों की आलोचना की थी। उन्होंने चीन के बैंकों को "पॉनशॉप मानसिकता" का शिकार बताया था। उनका इशारा इस तरफ था कि चीनी बैंक बिना कोई चीज गिरवी रखवाए कर्ज नहीं देते। गौरतलब है कि चीन में ज्यादातर बैंक सरकारी हैं, इसलिए जैक मा की टिप्पणियों को सीधे सरकार के खिलाफ कही गई बात माना गया।

जैक मा ने कहा था कि देश के बैंकिंग क्षेत्र में ऐसी नई कंपनियों की जरूरत है, जो गरीबों से बिना कुछ गिरवी रखवाए उन्हें ऋण मुहैया करा सकें। उन्होंने ये भी कह कि अकसर जो कंपनियां या व्यक्ति कुछ नया करना चाहते हैं, चीन के वित्तीय समूह उन्हें दरकिनार कर देते हैं।

विश्लेषकों ने कहा है कि अगर इन बातों का चीन सरकार ने बुरा माना, तो इससे पता चलता है कि चीन सरकार किसी तरह तानाशाही रवैये का शिकार होती जा रही है। हालांकि वह अपने देश में वित्तीय व्यवस्था को मजबूत करने में जुटी है, मगर ऐसा वह बिल्कुल अपनी शर्तों पर ही करना चाहती है। जबकि विज्ञान, तकनीक और कारोबार के क्षेत्र में कोई नई पहल स्वतंत्र माहौल में ही हो पाती है। बहरहाल, चीन के सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि एन्ट ग्रुप के खिलाफ ये कार्रवाई जरूरी गई थी, ताकि पूंजी बाजारों में स्थिरता बनी रहे और निवेशकों के हितों की रक्षा की जा सके।

अब अनुमान यह लगाया जा रहा है कि आगे क्या होगा। ज्यादातर विश्लेषकों का मानना है कि एन्ट ग्रुप के आईपीओ को ज्यादा समय तक रोक कर रखा जाएगा, इसकी संभावना कम है। जैक मा और उनकी कंपनियों की बड़ी हैसियत को देखते हुए चीनी अधिकारी शायद ज्यादा समय तक उनसे टकराव मोल नहीं लेंगे। बल्कि उनका मकसद जैक मा को रास्ते पर लाना है और जब उन्हें लगेगा कि यह हो गया है, तो आईपीओ को आगे बढ़ाने की इजाजत दे दी जाएगी। लेकिन अभी पैदा हुए अनिश्चय से एन्ट ग्रुप की वित्तीय सेहत पर फर्क पड़ सकता है। साथ ही भविष्य में आईपीओ लाने के पहले कंपनियों काफी कुछ सोचना पड़ेगा। इसका असर चीन के वित्तीय बाजार पर होगा। 

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