China ने 'एक्स' शेयर पोस्ट में खासतौर पर भारत का जिक्र

Update: 2024-08-04 04:32 GMT

Business बिजनेस: भारत दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर बढ़ रहा है। दुनिया इस सच्चाई से वाकिफ aware है, लेकिन अब तक हमारा पड़ोसी देश भारत की विनिर्माण क्षमता पर उंगली उठाता रहा है। लेकिन अब उनके सुर भी बदल गए हैं. ड्रैगन ने भी अब मान लिया है कि भारत एक बड़ी विनिर्माण शक्ति बन रहा है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने दुनिया के सबसे ज्यादा विनिर्माण उत्पादन वाले 10 देशों की सूची जारी रखी है। इस सूची में भारत पांचवें स्थान पर है। खास बात यह है कि ग्लोबल टाइम्स ने 'एक्स' पर शेयर की गई अपनी पोस्ट में खासतौर पर भारत का जिक्र किया है।

 ग्लोबल टाइम्स ने अपने प्रकाशन में लिखा:

"चीन दुनिया की विनिर्माण शक्ति बना हुआ है।" इसी पब्लिकेशन में भारत के बारे में लिखा गया, ''ग्लोबल टाइम्स ने 456 अरब डॉलर की मैन्युफैक्चरिंग वैल्यू के साथ टॉप पांच में जगह बनाई है.'' विश्व बैंक के आंकड़ों के आधार पर यह सूची तैयार की गई है। हमेशा से भारत की आलोचना करने वाले ग्लोबल टाइम्स के सुर पिछले कुछ समय से भारत के प्रति नरम हो गए हैं और धीरे-धीरे ही सही लेकिन चीन अब भारत को विश्व शक्ति मानने लगा है। विनिर्माण क्षेत्र में चीन सबसे आगे है। ग्लोबल टाइम्स की The Global Times' सूची में चीन 4,659 अरब डॉलर के साथ विनिर्माण उत्पादन में शीर्ष पर है। 2,497 बिलियन डॉलर के विनिर्माण उत्पादन के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका दूसरे स्थान पर है। जर्मनी 845 अरब डॉलर के साथ तीसरे, जापान 818 अरब डॉलर के साथ चौथे और भारत 456 अरब डॉलर के साथ पांचवें स्थान पर है। इस सूची में दक्षिण कोरिया छठे, मैक्सिको सातवें, इटली आठवें, फ्रांस नौवें और ब्राजील दसवें स्थान पर है। इसे दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती शक्ति कहा गया है। गलवान में भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़प और उसके बाद चीन के प्रति भारत के सख्त रुख ने चीन को 'नरम' होने पर मजबूर कर दिया है। जनवरी 2024 में भी चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलकर तारीफ की थी. ग्लोबल टाइम्स के एक लेख में कहा गया है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती शक्ति है। लेख में पिछले चार वर्षों में भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि, शहरी प्रशासन में सुधार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों, विशेषकर चीन के साथ इसके दृष्टिकोण में बदलाव पर प्रकाश डाला गया है।

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