केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, बुरे वक्त के लिए देश में यहां क्रूड ऑयल इकट्ठा करने को दी मंजूरी
कोरोना संकट के बीच क्रूड ऑयल की आपूर्ति में पैदा हुई रुकावटों से सबक लेते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| नई दिल्ली. कोरोना संकट के बीच क्रूड ऑयल की आपूर्ति में पैदा हुई रुकावटों से सबक लेते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. इसके तहत केंद्र ने देश में कच्चे तेल के नए रिजर्वायर्स बनाने को मंजूरी दे दी है. इन रिजर्वायर्स में मौजूद रिजर्व क्रूड ऑयल का सामरिक महत्व (Strategic Perspective) है. दरअसल, आपात स्थिति में कच्चे तेल का आयात नहीं होने के हालात में देश में क्रूड ऑयल का भंडार खत्म हो गया. फिलहाल देश के पास 12 दिन तक का स्ट्रैटजिक रिजर्व मौजूद है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया, 'कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया है कि अब ओडिशा (Odisha) और कर्नाटक (Karnataka) में भी जमीन के भीतर पथरीली गुफाओं में कच्चा तेल जमा किया जाएगा.'
अप्रैल-मई 2020 में भारत ने क्रूड खरीदकर की 5000 करोड़ की बचत
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने राज्यसभा में एक सवाल का जवाब दिया था कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कम कीमतों (Low Price) का फायदा उठाते हुए अप्रैल-मई, 2020 में 167 लाख बैरल क्रूड खरीदा है. इससे विशाखापत्तनम, मंगलुरु और पाडुर में बनाए गए सभी तीन रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व को भरा गया है. जनवरी 2020 के दौरान 4,416 रुपये प्रति बैरल की तुलना में कच्चे तेल की खरीद की औसत लागत 1398 रुपये प्रति बैरल थी. उन्होंने कहा है कि भारत ने अप्रैल-मई में 5 हजार करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है. इसके साथ ही तीन रणनीतिक भूमिगत कच्चे तेल भंडार को भरने के लिए दो दशक से भी कम की अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों का इस्तेमाल किया.
नई स्टोरेज फैसिलिटी में भारत के पास होगा 22 दिन का रिजर्व
दुनिया के तीसरे बड़े तेल आयातक भारत ने किसी भी इमरजेंसी को पूरा करने के लिए तीन स्थानों पर अंडरग्राउंड रॉक केव्स में रणनीतिक भंडार बनाए हैं. नए अंडरग्राउंड स्टोरेज फैसिलटी बनने के बाद 22 दिन तक का रिजर्व भारत के पास होगा. यहां 65 लाख टन कच्चा तेल जमा रहेगा. दरअसल, देश में पहले से ऐसी तीन अंडरग्राउंड स्टोरेज फैसिलिटी मौजूद हैं. यहां 53 लाख टन कच्चा तेल हमेशा जमा रहता है. ये विशाखापत्तनम, मंगलुरु और पाडुर में है. ऑयल मार्केटिंग और प्रोडक्शन कंपनियां भी कच्चा तेल मंगाती हैं. हालांकि, ये स्ट्रैटेजिक रिजर्व इन कंपनियों के पास तेल के भंडार से अलग है. भारतीय रिफाइनरियों के पास आमतौर पर 60 दिन का स्टॉक रहता है. ये स्टॉक जमीन के अंदर मौजूद होते हैं.
पूर्व पीएम अटल बिहार वाजपेयी ने बनवाए थे अंडरग्राउंड स्टोरेज
भारत 1990 के दशक में खाड़ी युद्ध के दौरान लगभग दिवालिया हो गया था. उस समय तेल के दाम आसमान छू रहे थे. इससे पेमेंट संकट पैदा हो गया. भारत के पास सिर्फ तीन हफ्ते का स्टॉक बचा था. हालांकि, तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने स्थिति को संभाल लिया था. उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीति से अर्थव्यवस्था पटरी पर आई. इसके बाद भी तेल के दाम में उतार-चढ़ाव भारत को प्रभावित करते रहे. इस समस्या से निपटने के लिए 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अंडरग्राउंड स्टोरेज बनाने का फैसला किया. इस समय इन गुफाओं की भंडारण क्षमता 53.3 लाख टन से ज्यादा है. लेकिन अभी इनमें 55 फीसदी तेल ही मौजूद है.