Car Crash Test: अब क्रैश टेस्ट में गाड़ी को तभी किया जाएगा पास जब कार में होगा ये फीचर
कार कंपनियां हर साल कुछ नई कारों को लॉन्च करती हैं
कार कंपनियां हर साल कुछ नई कारों को लॉन्च करती हैं. इन कारों को पहले के मुकाबले ज्यादा दमदार, बेहतरीन फीचर्स से लैस और दूसरों के मुकाबले में अलग बनाया जाता है. लेकिन इन सभी का खुलासा उस दौरान होता है जब इन्हें ग्लोबल NCAP क्रैश टेस्ट में भेजा जाता है. इस क्रैश टेस्ट से किसी भी कंपनी की मजबूती का पता लग जाता है. अब तक कई कंपनियों ने लॉन्च से पहले अपनी कार की मजबूति को लेकर बातें कही हैं लेकिन इस क्रैश टेस्ट में जाते ही उनकी पोल खुल जाती है. ऐसे में अब ये और भी मुश्किल होने वाला है.
क्रैश टेस्ट देखकर ही एक व्यक्ति अपने और परिवार के लिए गाड़ी लेता है. आज कल सुरक्षा के लिए कंपनियों को अपनी गाड़ियों को बेहद मजबूत बनाना पड़ता है. फिलहाल भारत में टाटा और महिंद्रा की गाड़ियों को सबसे मजबूत माना जाता है और इन्हें क्रैश टेस्ट में भी 5 स्टार की रेटिंग मिली है. जिन गाड़ियों को 5 स्टार की रेटिंग हासिल हुई है. उसमें महिंद्रा XUV300, टाटा नेक्सॉन और टाटा अल्ट्रोज शामिल है. लेकिन अब कंपनियों को अपनी गाड़ियों में एक जरूरी फीचर देना होगा जिसका नाम है इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल.
क्या होता है ESC?
ESC एक ऐसा सेफ्टी फीचर होता है जिसे आजकल कई सारी SUVs में दिया जा रहा है. इन फीचर की मदद से अलग अलग पहियों के ब्रेक लग जाते हैं जिससे टॉर्क करके आपके गाड़ी की स्पीड स्लो हो जाती है. साल 2014 में यूरोपीय बाजारों में ये एक स्टैंडर्ड फीचर होता था. ग्लोबल एनकैप ने बताया है कि, इस फीचर की लागत मात्र 5000 होती है.
अब तक गाड़ियों को क्रैश टेस्ट में 64 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से टेस्ट किया जाता है. लेकिन आनेवाले समय में ये क्रैश टेस्ट कार कंपनियों के लिए और मुश्किल हो सकता है जहां कार निर्माता कंपनियों को अपने ग्राहकों के लिए ESC के साथ और भी जरूरी फीचर्स जोड़ने पड़ सकते हैं.