Business: विदेश में पढ़ाई के लिए जाने से पहले समझ लें यह खास इनवेस्टमेंट प्लान

Update: 2024-09-13 09:28 GMT

बिज़नस: ज्यादातर संपन्न माता-पिता (तकरीबन 78%) अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए विदेश भेजना चाहते हैं या उनके बच्चे पहले से विदेशी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे हैं। हालांकि, इस लक्ष्य के लिए उनकी फाइनेंशियल तैयारी संतोषजनक नहीं है। HSBC की स्टडी में यह बात सामने आई है। HSBC की रिपोर्ट के मुताबिक, वे अपने रिटायरमेंट के बदले बच्चों के इंटरनेशनल एजुकेशन को प्राथमिकता देते हैं।साल 2025 तक तकरीबन 20 लाख भारतीय स्टूडेंट्स के विदेश मुल्कों में स्टडी करने की संभावना है। 'क्वॉलिटी ऑफ लाइफ' नामक इस स्टडी में कहा गया है, 'कॉस्ट में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और फंडिंग पेरेंट्स की मुख्य चिंता है। अमेरिका, यूरोप आदि मुल्कों में तीन या चार साल के डिग्री प्रोग्राम की फंडिंग कॉस्ट में भारतीय पेरेंट्स की रिटायरमेंट सेविंग्स का 64 पर्सेंट हिस्सा खर्च हो जाता है।' यह सर्वे 1,456 भारतीय पेरेंट्स पर किया गया।सर्वे के मुताबिक, सिर्फ 53 पर्सेंट भारतीयों के पास अपने बच्चों को विदेश में पढ़ाने के लिए एजुकेशन सेविंग प्लान था। सर्वे में शामिल 40% पेरेंट्स का कहना था कि उनके बच्चे स्टूडेंट लोन लेंगे, जबकि 51 पर्सेंट को उम्मीद थी कि वे स्कॉलरशिप हासिल करेंगे। स्टडी में कहा गया है, ' फंडिंग हासिल करने के अलावा, पेरेंट्स की चिंता इस बात को लेकर भी थी कि वे कौन सा कोर्स, यूनिवर्सिटी आदि चुनेंगे और यह कितना सही होगा।

लिविंग कॉस्ट में बढ़ोतरी सबसे बड़ी चिंता: विदेश में बच्चे की एजुकेशन कॉस्ट के अलावा स्टडी में फाइनेंशियल लक्ष्यों, स्वास्थ्य संबंधी जोखिम आदि का भी आकलन किया गया है। ग्लोबल स्तर पर संपन्न लोगों की प्रमुख 5 चिंताओं में लिविंग कॉस्ट में बढ़ोतरी, हाई इनफ्लेशन, स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें, ऊंची हेल्थकेयर कॉस्ट और कंफर्टेबल रिटायरमेंट के लिए पर्याप्त बचत नहीं होना शामिल हैं। सर्वे में शामिल भारतीय लोगों के लिए टॉप फाइनेंशियल लक्ष्यों में परिवार की वित्तीय रूप से मदद करना, फाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिए पैसा हासिल करना, प्रॉपर्टी में निवेश, बच्चों की शिक्षा के लिए बचत और रिटायरमेंट प्लानिंग शामिल हैं।

संपन्न भारतीयों की निवेश योग्य संपत्तियों में इजाफा: चिंताओं के बावजूद ज्यादातर भारतीयों का मानना था कि वे वित्तीय रूप से ठीक हैं। सर्वे में शामिल कुल 60 पर्सेंट से भी ज्यादा लोगों ने अपने लिक्विड/इनवेस्टमेंट योग्य संपत्तियों में बढ़ोतरी की बात कही, जबकि 36 पर्सेंट का कहना था कि इन संपत्तियों की वैल्यू में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ। जल्दी रिटायर होना भले ही युवा पीढ़ी का मंत्र हो, लेकिन 60 पर्सेंट से ज्यादा संपन्न भारतीयों का कहना है कि उनकी योजना रिटायरमेंट के बाद भी काम करने की है।

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