गेहूं के निर्यात में दर्ज हुई बंपर वृद्धि, किसानों पर क्या होगा इसका असर?
सरसों की फसल की तरह ही गेहूं की भी इस बार बंपर पैदावार हुई है
सरसों की फसल की तरह ही गेहूं की भी इस बार बंपर पैदावार हुई है. इस कारण निर्यात में तेजी देखी जा रही है. पिछले साल के मुकाबले गेहूं के निर्यात में इस बार बंपर वृद्धि हुई है. आंकड़ों के मुताबिक, इस बार 9 लाख से अधिक का निर्यात हो चुका है जबकि पिछले साल यह दो लाभ भी नहीं था.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में अप्रैल से दिसंबर तक 1 लाख 70 हजार 896 टन गेहूं का निर्यात हुआ था. इसी अवधि में 2020 में यह आंकड़ा कई गुना बढ़कर 9 लाख 76 हजार टन तक जा पहुंचा है. डेटा के मुताबिक, एक मार्च 2021 तक देश में 295 लाख टन गेहूं का स्टॉक है. ऐसे में माना जा सकता है कि निर्यात के आंकड़ों में अभी और बढ़ोतरी होगी.
निर्यात बढ़ने का किसानों पर क्या पड़ेगा असर?
गेहूं के निर्यात में बंपर वृद्धि दर्ज हुई है. किसानों को इससे क्या लाभ मिलेगा, ये बड़ा सवाल है? विशेषज्ञों का कहना है कि निर्यात बढ़ने का मतलब हुआ कि पैदावर भी बढ़ा है. मंडियों में आवक ज्यादा हो रही है. निर्यात बढ़ने से किसानों को कुछ विशेष लाभ नहीं होगा क्योंकि खुली मंडी में भाव नहीं बढ़ेंगे. सरकार के पास पहले से गेहूं का स्टॉक है. विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में गेहूं की कीमतों में कमी देखने को मिलेगी. इससे साफ पता चल रहा है कि किसानों को लाभ नहीं होने जा रहा है.
मंडियों में क्या है स्थिति?
देश के कई राज्यों में गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो चुकी है. किसान फसल को सरकारी दरों पर बेचने के लिए मंडी आ रहे हैं. अभी मंडियों में गेहूं की आवक सामान्य है. आने वाले दिनों में आवक में तेजी आने की संभावना है. फिलहाल मंडियो में कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है, जो आगे भी जारी रहेगा.
क्या करें किसान?
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं अभी जिस कीमत पर बिक रहा है, उसमें कुछ समय बाद कमी देखने को मिलेगी. आवक बढ़ने से दाम कम होने की संभावना है. किसान छोटी अवधि के लिए अपनी पैदावार को रोक सकते हैं ताकि उन्हें बढ़ी हुई कीमत मिल सके. विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार लंबे समय के लिए गेहूं की फसल को रोकना धाटे का सौदा होगा. अच्छी पैदावार होने के कारण आने वाले समय में दाम घट सकते हैं.