दिल्ली: दवाओं के निर्माण से जुड़े तत्वों के लिए चीन पर भारत की निर्भरता जल्द खत्म होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने सोमवार को गुजरात के भरूच जिले के जंबूसार में देश के पहले बल्क ड्रग पार्क (BDP) की आधारशिला रखी है। केंद्र की योजना के अनुसार, देशभर में तीन हजार करोड़ की लागत से ऐसे तीन पार्क विकसित किए जाएंगे। नीति आयोग की निगरानी में देश को दवा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में इन पार्क की स्थापना होगी।
क्या होता है बल्क ड्रग पार्क: बल्क ड्रग पार्क में दवा तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले अलग-अलग तत्वों का निर्माण देश में ही होगा। इन तत्वों को एक्टिव फॉर्मास्युटिकल्स इनग्रीडिएंट्स (एपीआई) कहते हैं। सरकार इन पार्क की स्थापना से घरेलू दवा बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना चाहती है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दवा निर्माण और उत्पादन क्षेत्र में भारत को शीर्ष पर ले जाने की योजना है।
देश में सभी 53 एपीआई का निर्माण: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने हाल ही में बताया था कि दवा बनाने के लिए कुल 53 तरह के एपीआई के लिए भारत की चीन पर निर्भरता थी। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 35 तरह के एपीआई का निर्माण देश में ही हो रहा है। बल्क ड्रग पार्क योजना के तहत सरकार का लक्ष्य बचे हुए 18 एपीआई के साथ सभी एपीआई का उत्पादन इन्हीं पार्क में करना है।
ड्रग पार्क रोजगार का नया जरिया: देशभर में बनने जा रहे तीन बल्क ड्रग पार्क रोजगार का नया जरिया बनेंगे। हिमाचल प्रदेश के ऊना में 50 हजार लोगों को नौकरी मिलेगी। इसी तरह आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में बनने वाला ड्रग पार्क 60 हजार से अधिक लोगों को नौकरी देगा। गुजरात में बन रहे देश के पहले ड्रग पार्क में भी 40 हजार से ज्यादा लोगों को नौकरी मिलेगी।
500 करोड़ से फार्मा क्षेत्र को मजबूती: केंद्र सरकार ने दवा निर्माण क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वर्ष 2022 से 2026 तक के लिए कुल 500 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। देश में तीन हजार घरेलू दवा कंपनियां और 10,500 दवा उत्पादन इकाइयां हैं। दुनियाभर में निर्यात होने वाली 20 फीसदी जेनेरिक दवाएं और 60 फीसदी टीके अकेले भारत निर्यात करता है।
चीन को चुकाए 240 करोड़ डॉलर: केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया था कि वित्त वर्ष 2018-19 में भारतीय दवा कंपनियों ने 240 करोड़ डॉलर की लागत से दवा निर्माण के लिए जरूरी तत्व (एपीआई) चीन से मंगाया था। रिपोर्ट के अनुसार, उस दौरान भारत 76 फीसदी एपीआई अकेले चीन से ही मंगाता था। इसमें से 90 फीसदी एपीआई की खपत भारत में इस्तेमाल होने वाली दवाओं में होती थी।
भारत का दूसरे देशों से दवा आयात:
वर्ष राशि (करोड़ रुपये)
2018 में 35330
2019 में 44429
2020 में 45727
2021 में 51737
2022 (सितंबर तक) में 35266
भारत से दूसरे देशों को दवा निर्यात
वित्त वर्ष राशि (करोड़ डॉलर)
2017-18 में 1728
2018-19 में 1915
2019-20 में 2070
2020-21 में 2444
2021-22 में 2462