बजट 2021: निवेशक टैक्स पर चाहते हैं स्पष्टता, घटाया जाए एलटीसीजी

बजट में हर आम और खास को उम्मीदें होती हैं। कोरोना संकट को देखते हुए इस बार बजट में करदाता और विशेषज्ञ कुछ ज्यादा उम्मीद लगाए बैठे हैं।

Update: 2021-01-27 09:20 GMT

 जनता से रिश्ता वेब डेस्क।  बजट में हर आम और खास को उम्मीदें होती हैं। कोरोना संकट को देखते हुए इस बार बजट में करदाता और विशेषज्ञ कुछ ज्यादा उम्मीद लगाए बैठे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी संकेत देते हुए कहा था इस बार का बजट अभूतपूर्व होगा। ऐसे में विशेषज्ञ शेयर, म्यूचुअल फंड पर लगने वाले लंबी अ‌वधि के पूंजीगत लाभ कर (एलटीसीजी) को हटाने का सुझाव दे रहे हैं। उनका कहना है कि एलटीसीजी को हटाने से भारतीय बाजार तेजी से बढ़ेगा। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, बजट में एलटीसीजी छूट समेत लाभांश पर भी स्पष्टता होनी चाहिए। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और निवेशक बाजार में पैसा लगाने के लिए आकर्षित होंगे।

क्या है एलटीसीजी

इसे लंबी अ‌वधि का पूंजीगत लाभ कर कहते हैं। म्यूचुअल फंड और रियल एस्टेट में निवेश करने पर एक तय समय के बाद बेचने पर जो मुनाफा होता है और उसपर जो कर लगता है वह एलटीसीजी होता है। इसके आकलन की अवधि निवेश उत्पाद के अनुसार अलग-अलग है। म्यूचुअल फंड में यह दो साल बाद लगता है।

एलटीसीजी हटने से रिटर्न ऊंचा होगा

विशेषज्ञों का कहना है कि म्यूचुअल फंड में एलटीसीजी हटने से निवेशकों को ज्यादा रिटर्न मिलेगा। मौजूदा समय में एलटीसीजी 10 फीसदी या इंडेक्सेशन का लाभ लेने पर 20 फीसदी दर से लगता है। इससे निवेशकों का रिटर्न कम हो जाता है। उनका कहना है कि कोई निवेशकों यदि म्यूचुअल फंड में निवेश करता है और उसे 10 फीसदी का अनुमानित लाभ होता है। अब यदि 10 फीसदी के हिसाब से एलटीसीजी को जोड़ें तो उसका लाभ घटकर नौ फीसदी रह जाता है। इसकी वजह से निवेशक दूर भागते हैं।

कराधान में स्पष्टता हो

यूलिप और म्यूचुअल फंड दोनों निवेश विकल्प हैं। लेकिन यूलिप में निवेश पर किसी तरह का कर नहीं लगता है और उसी गिनती जीवन बीमा पॉलिसी के तहत ही होती है। जबकि म्यूचुअल फंड में एलटीसीजी लगता है। टैक्स सलाहकारों का कहना है कि एक तरह के उत्पाद होने से कराधान भी पारदर्शी होना चाहिए। ऐसे में इस बार बजट में उम्मीद है कि सरकार इस तरह के टैक्स को लेकर स्पष्टता लाएगी।

छोटे निवेशक प्रोत्साहित होंगे

मौजूदा समय में शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड को मिलाकर चार फीसदी से भी कम निवेशक जुड़े हुए हैं। जबकि बाकी निवेशक बैंक एफडी और अन्य सुरक्षित विकल्पों में पैसा लगाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि एलटीसीजी हटाने और कराधान में स्पष्टता लाने से छोटे निवेशक भी इन उत्पादों में निवेश के लिए प्रोत्साहित होंगे।

एसटीटी का बोझ कम हो

विशेषज्ञों का कहना है कि एलटीसीजी को खत्म करने के मद्देजनर सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) को लाया गया था। लेकिन आज भी एलटीसीजी बरकरार है। ऐसे में यह निवेशकों पर दोहरे टैक्स की तरह है। उनका कहना है कि कोरोना संकट को देखते हुए बाजार में अधिक से अधिक निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एसटीटी का बोझ भी कम होना चाहिए।


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