महंगाई से मिली बड़ी राहत

Update: 2023-05-13 08:24 GMT
खुदरा महंगाई दर (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) में गिरावट दर्ज की गई है। नए वित्त वर्ष 2023-24 के पहले महीने अप्रैल में खुदरा महंगाई दर घटकर 4.70 फीसदी पर आ गई है, जो मार्च 2023 में 5.66 फीसदी थी। यह लगातार तीसरा महीना है जब महंगाई दर में कमी आई है और यह 18 महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। इस दौरान खाद्य पदार्थों की महंगाई दर में भी कमी आई है. खाद्य मुद्रास्फीति मार्च 2023 के 4.79 प्रतिशत से घटकर 4 प्रतिशत से नीचे 3.84 प्रतिशत पर आ गई है। एक साल पहले अप्रैल 2022 में खुदरा मुद्रास्फीति 7.79 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर थी और खाद्य मुद्रास्फीति 8.31 प्रतिशत थी।
दूध की महंगाई से राहत नहीं!
अप्रैल में खाद्यान्न और इससे जुड़े उत्पादों की महंगाई दर 13.67 फीसदी थी, जो मार्च में 15.27 फीसदी थी. दूध और डेयरी उत्पादों की महंगाई दर 8.85 फीसदी रही है, जो मार्च में 9.31 फीसदी थी. मसालों की महंगाई दर 17.43 फीसदी हो गई है. साग-सब्जियों की महंगाई दर -6.50 फीसदी, दालों की महंगाई दर 5.28 फीसदी, मांस और मछली की महंगाई दर -1.23 फीसदी, तेल और वसा की महंगाई दर -12.33 फीसदी रही है.
महंगे कर्ज से मुक्ति!
आने वाले दिनों में महंगाई में कमी आने के बाद महंगे कर्ज से राहत की उम्मीद की जा सकती है. खुदरा महंगाई आरबीआई के टॉलरेंस बैंड के भीतर है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रास्फीति दर के सहिष्णुता बैंड के ऊपरी स्तर को घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया गया है। आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग जून महीने में 6 से 8 जून के बीच होगी। 8 जून को आरबीआई अपनी एमपीसी बैठक के फैसले की घोषणा करेगा। अगर महंगाई के मोर्चे पर सब ठीक रहा तो सस्ते कर्ज की उम्मीद की जा सकती है। आरबीआई ने 2023-24 में खुदरा महंगाई दर 5.20 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। यानी खुदरा महंगाई दर आरबीआई के सालाना अनुमान से नीचे आ गई है।
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