मोटी कमाई का मौक! गेहूं जैसी फसलों की सिर्फ खेती ही नहीं, नाबार्ड से फंड लेकर शुरू करें ये बिजनेस

खेती को ज्यादा लाभकारी बनाने के लिए सिर्फ फसलें उगाना ही काफी नहीं है

Update: 2021-12-15 13:56 GMT
खेती को ज्यादा लाभकारी बनाने के लिए सिर्फ फसलें उगाना ही काफी नहीं है बल्कि उद्यमशीलता की तरफ भी कदम बढ़ाना होगा. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में मौजूद एग्री बिजनेस इन्क्यूवेशन सेंटर इसी काम में लगा है. अगर आपके मन भी कृषि उद्यमशीलता से जुड़ा कोई विचार आ रहा है तो आप इस केंद्र से जानकारी ले सकते हैं. कमाल की बात है कि नाबार्ड से आपको आर्थिक सहायता भी मिलेगी.
एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर के टीबीआई प्रबंधक अर्पित तनेता डीडी किसान से बातचीत करते हुए कहते हैं कि हमारा मुख्य उदेश्य किसानों से पैदावार खरीदकर प्रोडक्ट तैयार करें. हम गेहूं और चना जैसी फसलें खरीदकर उससे मल्टीग्रेन डबल ब्रेड, ब्राउन ब्रेड और गार्लिक ब्रेड जैसे उत्पाद बना रहे हैं.
उत्पाद बेचने की भी होती है व्यवस्था
बाजरा, चना और शक्कर से अलग-अलग फ्लेवर्स के बिस्किट बनाए जा रहे हैं. वे कहते हैं कि आजकल केक की काफी डिमांड है. इसी को देखते हुए बाजरे का केक भी बनाया जा रहा है, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद है.
यहां सिर्फ उत्पाद बनाए ही नहीं जाते हैं बल्कि इस सेंटर से संपर्क करने वाले किसानों को ट्रेनिंग भी दी जाती है. वे मशीनों के सहारे खुद से प्रोडक्ट बना लेते हैं. सेंटर के अधिकारी वेंडर से संपर्क करने से लेकर बेचने के तरीकों के बारे में भी किसानों को बताते हैं. इससे उनका काम आसान हो जाता है.
इन्क्यूबेशन सेंटर से संपर्क कर किसान अपने लिए रोजगार का एक बेहतर अवसर तो तैयार कर ही रहे हैं, साथ ही अन्य लोगों को भी रोजगार मुहैया करा रहे हैं. इससे किसानों की आय में काफी वृद्धि हो रही है और वे सिर्फ खेती पर निर्भर नहीं रह रहे हैं.
नाबार्ड से मिला फंड, बदल गई जिंदगी
इस इन्क्यूबेशन सेंटर से जुड़कर एक किसान और कारोबारी जग्ननाथ चोपड़ा अब अच्छी आमदनी कर रहे हैं. डीडी किसान की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेनिंग लेकर उन्होंने बेकरी बनाने का काम शुरू किया है. उन्हें इस काम के लिए नाबार्ड से फंड भी मिला है.
चोपड़ा कहते हैं कि बेकरी लाइन में आने के बाद मेरी जिंगदी बदल गई है. मेरा काम तेजी से बढ़ रहा है. वे बताते हैं कि लॉकडाउन में थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन जैसे-जैसे सब कुछ सामान्य हो रहा है, सबकुछ लाइन पर आ रहा है.
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