सरकार का बड़ा फैसला! खाना पकाने के तेल की घटेगी कीमतें
केंद्र सरकार ने घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और खाना पकाने के तेल की खुदरा कीमतों को कम करने के प्रयासों के तहत रिफाइंड पाम तेल पर मूल सीमा शुल्क को 17.5 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सरकार व्यापारियों को दिसंबर 2022 तक बिना लाइसेंस के रिफाइंड पाम तेल के आयात की अनुमति देगी. इस कदम का मकसद घरेलू आपूर्ति को बढ़ाना और खाना पकाने में उपयोग होने वाले तेल की कीमतों में कमी लाना है. इससे पहले, सरकार ने खाद्य तेलों के दाम में तेजी को देखते हुए जून में 31 दिसंबर 2021 तक के लिए रिफाइंड पाम तेल के आयात पर से पाबंदी हटा ली थी.
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा कि आरबीडी (रिफाइंड ब्लीच्ड डीओडराइज्ड) पाम तेल और आरबीडी पॉमोलीन का आयात 31 दिसंबर, 2022 तक बिना लाइसेंस के किया जा सकेगा. हालांकि इसमें कहा गया है कि केरल के किसी बंदरगाह से आयात की अनुमति नहीं है. अब तक ये आयात प्रतिबंधित श्रेणी में थे. इनके आयात के लिए आयातक को डीजीएफटी से लाइसेंस की आवश्यकता होती थी.
सरकार ने आयात शुल्क घटाकर 12.5 फीसदी किया
केंद्र सरकार ने घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और खाना पकाने के तेल की खुदरा कीमतों को कम करने के प्रयासों के तहत सोमवार को रिफाइंड पाम तेल पर मूल सीमा शुल्क को 17.5 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया. संशोधित मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) मार्च 2022 के अंत तक प्रभावी रहेगा.
बढ़ती महंगाई को देखते हुए लिया ये फैसला
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा कि मुफ्त आयात अवधि बढ़ाने के फैसले से घरेलू तिलहन प्रसंस्करणकर्ता प्रभावित होंगे. उन्होंने कहा, सरकार ने थोक मुद्रास्फीति में तेजी को देखते हुए यह निर्णय किया है. हालांकि, इसे अगले साल मार्च तक ही बढ़ाया जाना चाहिए था. स्थानीय सरसों की फसल मार्च से बाजार में आने लगेगी. इससे घरेलू आपूर्ति बेहतर होगी.
65 फीसदी तेल आयात करता है भारत
एसईए के अनुसार, भारत में खाद्य तेल की खपत 22 से 22.5 मिलियन टन है. भारत इसका 65 फीसदी दूसरे देशों से आयात करता है. देश मांग और घरेलू आपूर्ति के बीच की खाई को पाटने के लिए 13-15 मिलियन टन का आयात करता है.
पिछले दो विपणन वर्षों (नवंबर से अक्टूबर) में महामारी के कारण पाम तेल का आयात घटकर लगभग 13 मिलियन टन रह गई. 2019-20 में, आयात घटकर 13.2 मिलियन टन रह गई, जिसकी कीमत लगभग 71,600 करोड़ रुपये थी.
उन्होंने कहा, 2020-21 में भारत ने समान मात्रा में तेल आयात किया, लेकिन आयात बिल में 63 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और खाद्य तेलों की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी के कारण 1.17 लाख करोड़ रुपये के खतरनाक स्तर को छू लिया.
खाद्य तेल का भाव कम करने के लिए सरकार ने उठाए ये कदम
इससे पहले दिन में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा को बताया, हम खाद्य तेल की कीमत और कुछ आवश्यक खाद्य वस्तुओं की समस्या पर ध्यान देंगे.
खाद्य तेल की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने इस साल कई बार रिफाइंड और कच्चे दोनों खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कटौती की है