यूलिप में निवेश करने से पहले रिस्‍क या रिटर्न को समझना जरूरी है, जानिए अपने सवालों के जवाब

निवेश के साथ-साथ इंश्‍योरेंस कवर की सुविधा यूलिप के जरिए ही मिलती है. लेकिन यूलिप से मिलने वाले रिटर्न और लाइफ कवर को लेकर कई तरह की बातें कही जाती हैं जोकि पूरी तरह से सच नहीं है. ऐसे में यूलिप में निवेश करने से पहले इसे समझना जरूरी है ताकि अपने लक्ष्‍य के हिसाब से इसका फायदा उठाया जा सके.

Update: 2021-08-20 04:42 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूनिट लिंक्‍ड इंश्‍योरेंस प्‍लान यानी यूलिप एक लाइफ इंश्‍योरेंस प्रोडक्‍ट है, जिसमें ग्राहकों को इंश्‍योरेंस के साथ-साथ ही निवेश का भी विकल्‍प मिलता है. ग्राहकों द्वारा यूलिप में लगाया गया पैसा स्‍टॉक्‍स, बॉन्‍ड्स व ऐसे ही संपत्तियों में निवेश होता है. हालांकि, इसका एक हिस्‍स इंश्‍योरेंस कराने वाले व्यक्ति को लाइफ कवर प्रदान करनके लिए होता है. यूलिप में निवेश करने को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं. कई बार तो कुछ लोग बिना सोचे-समझे इसमें निवेश कर देते हैं और फिर बाद में परेशान होने लगते हैं.

यूलिप को लेकर सही समझ नहीं होने की वजह से यह समस्‍या होती है. यूलिप में निवेश करने से पहले हर किसी को उसके फायदे-नुकसान के साथ-साथ इससे जुड़े जोखिम का भी ख़याल रखना चाहिए. सही समझ ही आपको यूलिप का पूरा फायदा उठाने में मदद करेगी. इसी को देखते हुए आज हम आपको इसके बार में 5 जरूरी बातों को बता रहे हैं. इससे आपको यूलिप को लेकर समझ बनाने और इसमें निवेश के फैसले लेने में मदद मिलेगी.
आपके पॉकेट पर यूलिप का असर
यूलिप को लेकर सबसे पहली बात कही जाती है कि यह पॉकेट फ्रेंडली नहीं है. यह समझना होगा कि 2008 के दौरान यूलिप महंगा हुआ करता था. लेकिन अब समय बदल चुका है. यूलिप अब किफायती हो चुका है और इससे लोगों को लाइफ कवर की भी सुविधा मिलती है. बाजार से जुड़े प्रोडक्‍ट्स की वजह से वेल्‍थ बढ़ाने में भी मदद मिलती है.
बीमा नियामक IRDAI ने यूलिप में निवेश संबंधी चार्जेज पर भी कैप लगा दिया है. अगर कोई ग्राहक इसमें 10 साल या इससे ज्‍यादा समय तक के लिए निवेश करता है तो इसमें 2.25 फीसदी की लाइफ कवर शामिल नहीं होती है.
यूलिप में निवेश करना कितना जोखिमभरा है
यूलिप में सभी तरह के जोखिम लेने की क्षमता होती है ग्राहकों के लक्ष्‍य के हिसाब से निवेश करने के लिए कई सारे फंड्स का विकल्‍प भी मिलता है. इसका मतलब है कि इसमें बहुत ज्‍यादा रिस्‍क नहीं होता है. पॉलिसी खरीदने के दौरान ग्राहक अपने जोखिम लेने की क्षमता के हिसाब से फंड चुन सकते हैं. जोखिम के हिसाब से ही उनके पास इक्विटी, डेट फंड्स या इन दोनों की मिक्‍स वाले फंड में निवेश करने का विकल्‍प होता है.
यूलिप सरेंडर करना
बहुत लोग यह मानकर चलते हैं कि यूलिक को मैच्‍योरिटी की तारीख से पहले सरेंडर नहीं किया जा सकता है. हालांकि, यह सच नहीं है. ग्राहकों के पास विकल्‍प होता है कि वे मैच्‍योरिटी से पहले पॉलिसी को सरेंडर कर सकते हैं. उनके पास यह विकल्‍प लॉक-इन पीरियड के बाद मिलता हैं या फंड की वैल्‍यू पूरी जमा हो जाए.
लंबी अवधि में यूलिप पर मिलने वाला रिटर्न
यूलिप को लेकर यह भी कहा जाता है कि लंबी अवधि के दौरान इसमें ज्‍यादा रिटर्न मिलता है. आपको यह समझना होगा कि यूलिप के मार्केट लिंक्‍ड प्रोडक्‍ट है और इसपर मिलने वाला रिटर्न इस बात पर‍ निर्भर करता है कि आप किसी एसेट क्‍लास में निवेश करने का विकल्‍प चुनते हैं. किसी दूसरे फाइनेंशियल प्रोडक्‍ट की तरह ही आपका रिटर्न इस बात पर न‍िर्भर करता है कि आप कितना जोखिम लेने की क्षमत रखते हैं.
बाजार में उतार-चढ़ाव से लाइफ कवर पर असर
यह भी समझा जाता है कि बाजार में उठापटक से यूलिप के लाइफ कवर पर असर पड़ता है. हालांकि, ऐसा नहीं है. अगर बाजार में रिकॉर्ड गिरावट आती है, तब भी मैच्‍योर‍िटी के समय मिलने वाली लाइफ कवर की रकम में कोई बदलाव नहीं होगा. अगर पॉलिसी होल्‍डर की मृत्‍यु हो जाती है तो यूलिप के तहत लाइफ कवर व फंड वैल्‍यू मिलती है जोकि ज्‍यादा ही होता है.


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