अपने ही खाते से पैसा नहीं निकाल पा रहे बैंक ग्राहक, सुप्रीम कोर्ट जानें की तैयारी

जानें वजह

Update: 2022-01-28 02:18 GMT

पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC Bank) के करीब 10 लाख ग्राहकों की परेशानियां ढाई साल बाद भी समाप्त नहीं हुई हैं. सरकार ने भले ही पीएमसी बैंक को यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक (Unity Small Finance Bank) के साथ मिलाने की मंजूरी दे दी है, लेकिन लोग इससे खुश नहीं हैं. पीएमसी बैंक के ग्राहकों (PMC Bank Depositors) ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है. सरकार ने मंगलवार को इस विलय की मंजूरी दी. इस फैसले को-ऑपरेटिव सोसायटीज के संगठन सहकार भारती की अगुवाई में पीएमसी बैंक के ग्राहक सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले हैं. सहकार भारती और पीएमसी बैंक के ग्राहकों का मानना है कि विलय का फैसला एक तरफा है. संगठन ने इस फैसले को डिपॉजिटर्स के हितों के खिलाफ बताया है. सहकार भारती का कहना है कि पीएमसी बैंक का मामला कोई आम बैंकिंग फेल्योर न होकर फ्रॉड है.

फैसले पर फिर से विचार का आग्रह

सहकार भारती ने कहा कि पीएमसी बैंक के डिपॉजिटर्स की जमापूंजी की निकासी पर 10 साल का लॉक-इन पीरियड (Lock-In Period) लगाया गया है. इसके अलावा जमा पर अधिकतम मात्र 2.75 फीसदी के ब्याज का प्रावधान किया गया है. सहकार भारती का कहना है कि इस फैसले से पीएमसी बैंक के ग्राहक बदहाली के शिकार हो जाएंगे. इसे देखते हुए सरकार और रिजर्व बैंक से इस फैसले पर पुन: विचार करने का आग्रह किया गया है. दूसरी ओर डिपॉजिटर्स के संगठन पीएमसी बैंक अकाउंट होल्डर फोरम (PMC Bank Account Holder Forum) ने इस फैसले के खिलाफ अलग से हाई कोर्ट जाने का फैसला किया है. फोरम का कहना है कि इस स्कीम में सिर्फ एसएफबी को ही फायदा है, जबकि बैंक के ग्राहकों के लिए यह स्थिति को और खराब करने वाला है. फोरम ने कहा कि इससे एसएफबी को न सिर्फ बैठे-बिठाए लाइसेंस मिल जाएगा, बल्कि उसे पीएमसी बैंक की संपत्ति भी मिल जाएगी. दूसरी ओर डिपॉजिटर्स को अपने ही पैसे के लिए तरसना होगा.

सरकार ने जिस स्कीम को मंजूर किया है, उसके अनुसार पहले राउंड के पेमेंट में डिपॉजिटर्स को DICGC के तहत अधिकतम 5 लाख रुपये मिलेंगे. जिन ग्राहकों के खाते में इससे ज्यादा रकम जमा है, उन्हें बाकी अमाउंट निकालने में दिक्कत होगी. ऐसे डिपॉजिटर्स को अपने पैसों के लिए 10 साल का इंतजार करना होगा. पहले 5 साल के दौरान ऐसे ग्राहकों को सालाना 50 हजार से 5.5 लाख रुपये तक मिल सकते हैं. इसके बाद बची रकम 10 साल के बाद मिलेगी. इस पीरियड में पहले 5 साल के लिए सालाना 2.75 फीसदी की दर से ब्याज मिलेगा.

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