2005 में हुई थी एंट्रिक्स देवास डील, सुप्रीम कोर्ट ने डील को खारिज किया
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा 10-12 साल के संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में न्याय किया है. उन्होंने बताया देवास इसरो के पूर्व सेक्रेटरी की कंपनी थी, जिसमें कई विदेशी निवेशकों ने पैसा इनवेस्ट किया था
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बजट 2022 (Budget 2022) से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एंट्रिक्स देवास डील (Antrix-Devas Deal) पर सरकार का पक्ष रखा. वित्त मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा 10-12 साल के संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में न्याय किया है. उन्होंने बताया देवास इसरो के पूर्व सेक्रेटरी की कंपनी थी, जिसमें कई विदेशी निवेशकों ने पैसा इनवेस्ट किया था.
कैबिनेट तक को नहीं दी डील की जानकारी
वित्त मंत्री ने बताया कि साल 2005 में हुई एंट्रिक्स-देवास डील देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ थी. इस मामले में बड़ी धांधली सामने आई है, सैटेलाइट लॉन्च होने से पहले ही प्राइवेट कंपनी को स्पेक्ट्रम के अधिकार दिए गए थे. उन्होंने तत्कालीन सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उस समय देश में यूपीए की सरकार थी और उन्होंने इस डील की जानकारी कैबिनेट तक को नहीं दी.
अंतरराष्ट्रीय अदालतों में लड़ रही मोदी सरकार
निर्मला सीतारमण ने बताया जिस बैंड को प्राइवेट कंपनी को बेचा गया, उसे रक्षा मंत्रालय इस्तेमाल करता है. यूपीए सरकार के लालच के कारण आज मोदी सरकार कई अंतरराष्ट्रीय अदालतों में लड़ रही है. उन्होंने कहा तत्कालीन टेलीकॉम मिनिस्टर ने कपिल सिब्बल ने इस मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेस की थी. लेकिन उन्होंने इस मामले पर कैबिनेट नोट तक का जिक्र तक नहीं किया था.
क्या है एंट्रिक्स देवास डील
Devas मल्टीमीडिया मामला साल 2005 का है. उस समय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और देवास मल्टीमीडिया के बीच एक डील हुई थी. इस डील के अनुसार इसरो को देवास मल्टीमीडिया के लिए 2 सैटेलाइट लॉन्च करने थे. इसके बाद देश में सैटेलाइट मोबाइल काम करने लगते. दोनों ही सैटेलाइट को कम फ्रिक्वेंसी पर टेलीकॉम सेक्टर के लिए लॉन्च किया जाना था. इससे कंपनी को बहुत कम टॉवर लगाने की जरूरत पड़ती. यानी सैटेलाइट मोबाइल होता तो कोई भी इंटरनेट या मोबाइल सिग्नल की शिकायत नहीं करता