ITR फाइल करने का एक और मौका, जानें कैसे
अगर आप 31 दिसंबर 2021 तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं कर पाए हैं तब भी परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। वित्त अधिनियम, 2017 में संशोधन के अंतर्गत अभी भी आपके पास एक मौका है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अगर आप 31 दिसंबर 2021 तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं कर पाए हैं तब भी परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। वित्त अधिनियम, 2017 में संशोधन के अंतर्गत अभी भी आपके पास एक मौका है। हालांकि देर से रिटर्न दाखिल करना आपको महंगा पड़ सकता है। 'विलंबित रिटर्न' के जरिए करदाता रिटर्न भर सकते हैं। इसके लिए विलंब शुल्क का भुगतान करना होगा। जानिए और क्या होगा असर-
विलंबित आयकर रिटर्न क्या है?
यदि कोई व्यक्ति नियत तारीख से पहले अपना आईटीआर दाखिल करने में विफल रहता है, तो आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139(4) के अनुसार, वह देरी से रिटर्न दाखिल कर सकता है।
देना होगा जुर्माना
31 दिसंबर 2021 की आईटीआर देय तिथि तक फाइलिंग न कर पाने की स्थिति में अगर करदाता की करयोग्य आय पांच लाख रुपए से ज्यादा है तो उसे ₹5000 रुपये का विलंब शुल्क देना होगा। आईटीआर नियमों में विलंब शुल्क पर टैक्स और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन का कहना है, यदि आपकी कर योग्य आय पांच लाख से अधिक है और आईटीआर 31 दिसंबर 2021 तक जमा नहीं किया गया तो आपको अनिवार्य रूप से ₹5000 का एक विलंब शुल्क देना होगा।
हालांकि, यदि कर योग्य आय ₹5 लाख से कम है तो विलंब शुल्क ₹1,000 तक सीमित है। बलवंत जैन ने कहा कि ₹1,000 विलंब शुल्क उन पर भी लागू होता है जिनकी कोई आयकर देनदारी नहीं है लेकिन वे नियत तारीख यानी 31 दिसंबर 2021 के बाद अपना आईटीआर दाखिल कर रहे हैं।
नुकसान को आगे नहीं बढ़ा सकते
यदि आप देरी से रिटर्न दाखिल करते हैं तो आप अपने नुकसान (गृह संपत्ति से होने वाले नुकसान को छोड़कर) को आगे नहीं बढ़ा सकते। आय के निम्नलिखित शीर्षों के तहत अगर करदाता देर से रिटर्न फाइल करता है तो अपनी हानियां जैसे व्यवसाय और पेशे से होने वाली आय, जिसमें सट्टा व्यवसाय, पूंजीगत लाभ और अन्य स्रोतों से आय शामिल है, को अगले साल में आगे बढ़ाने का लाभ नहीं ले सकता। रिटर्न फाइल करने वालों को इन नुकसानों को आगले वित्तवर्ष में ले जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, भले ही सभी करों का समय पर भुगतान किया गया हो।
31 मार्च 2022 तक आईटीआर दाखिल न की तो
यदि 31 मार्च 2022 तक आईटीआर दाखिल न किया जाए तो क्या होगा? इस पर बलवंत जैन ने बताया, यदि कोई करदाता अंतिम तिथि यानी 31 मार्च 2022 तक अपना आईटीआर दाखिल करने में विफल रहता है, तो आयकर विभाग आयकर और ब्याज के अलावा कर के 50 प्रतिशत के बराबर न्यूनतम जुर्माना लगा सकता है।