सुरक्षा के लिए जरूरी है AirBag, जानिए कितना खर्च आता है सिंगल एयरबैग सेटअप कराने में...
सरकार की तरफ से सभी कार बनाने वाली कंपनियों को कार की फ्रंट सीट के लिए एयरबैग्स को अनिवार्य करने का आदेश जारी किया गया है
सरकार की तरफ से सभी कार बनाने वाली कंपनियों को कार की फ्रंट सीट के लिए एयरबैग्स को अनिवार्य करने का आदेश जारी किया गया है. सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है. वाहनों में आगे ड्राइवर की सीट के साथ बैठने वाले यात्रियों के लिए एयरबैग देना अनिवार्य हो गया है.
मंत्रालय ने कहा कि अप्रैल, 2021 के पहले दिन या उसके बाद विनिर्मित नए वाहनों में आगे की सीट के लिए एयरबैग जरूरी होगा. वहीं पुराने वाहनों के संदर्भ में 31 अगस्त, 2021 से मौजूदा मॉडलों में आगे की ड्राइवर की सीट के साथ एयरबैग लगाना अनिवार्य होगा. इससे पहले 29 दिसंबर 2020 को सरकार ने कहा था कि उसने 1 अप्रैल 2021 से नए वाहनों के लिए और 1 जून 2021 से पुराने वाहनों के लिए डुअल एयरबैग जरूरी करने का फैसला किया है. हालांकि पुराने वाहनों में एयरबैग की समय सीमा को तीन महीने बढ़ाकर 31 अगस्त 2021 कर दिया गया है.
हर साल सड़क हादसों में जान गंवाते हैं लाखों लोग
देश में सड़क हादसों की वजह से बड़ी संख्या में लोग जान गंवा देते हैं. सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 में देशभर में कुल 4.80 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1.51 लाख लोगों की मौत हुई. सरकार इन हादसों और होने वाली मौतों के आंकड़ों को कम करने के लिए लगातार कोशिशें करती रहती है. इसी को लेकर बीच-बीच में नए नियम और कानून बनाए जाते हैं. साथ ही पुराने नियम-कानूनों में संशोधन भी किए जाते हैं.
यह नियम लाने के पीछे क्या है उद्देश्य?
दरअसल, कार की टक्कर होने या किसी अन्य कारण से हुई दुर्घटना में ड्राइव कर रहे व्यक्ति और उसके बगल में बैठे व्यक्ति की जान को सबसे ज्यादा खतरा रहता है. खासकर सिर में गंभीर चोट लगने पर जान जाने का खतरा रहता है. एयरबैग इस स्थिति से बचाता है. भारत सरकार की तरफ से भी इस बात को स्पष्ट किया जा चुका है कि किसी भी कीमत पर सुरक्षा उपायों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा. नए नियम को लेकर मंत्रालय की वेबसाइट पर एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका है. इस कदम से दुर्घटना की स्थिति में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी.
सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है एयरबैग
एयरबैग किसी भी गाड़ी के लिए जिंदगी बचाने वाला फीचर है जहां अब इसे तकरीबन हर कार में दिया जा रहा है. ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के अनुसार ड्राइव साइड एयरबैग हर कंपनी को देना जरूरी है. ड्राइवर और उसके बगल वाली सीट दोनों पर एयरबैग होने से किसी दुर्घटना की स्थिति में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है. दरअसल, दुर्घटना की स्थिति में एयरबैग कुछ सेकेंड के अंदर खुल जाता है और सिर, चेहरे में गंभीर चोट लगने से बचा लेता है. ऐसे में मौत की संभावना कम होती है. इस नियम का उद्देश्य यही है कि शुरुआती रेंज की कारों में सफर को भी सुरक्षित बनाया जाए. कार में दोनों सीटों पर Airbag जरूरी होने से हादसों में होने वाली मौत के आंकड़ों को काफी कम किया जा सकता है.
पहले क्या थे नियम
कार में ड्राइवर की तरफ वाले हिस्से में एयरबैग को 1 जुलाई 2019 से अनिवार्य किया जा चुका है. इस प्रावधान के मुताबिक गाड़ियों में सिंगल एयरबैग को अनिवार्य किया गया था लेकिन इतने सुरक्षा इंतजाम काफी नहीं हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक आगे की सीट पर बैठे सहयात्री पर भी गंभीर रूप से घायल होने या फिर हादसे में मौत का खतरा बना रहता है.
एयरबैग सेटअप पर कितना खर्च आएगा?
एंट्री लेवल गाड़ी में अगर आप एक एयरबैग का सेटअप करते हैं तो कंपनी को इसका 5000 से 8000 रुपये के बीच का खर्चा आता है. लेकिन अंत में यही कंपनियों कुछ पैसे बचाने के चक्कर में इस फीचर को नहीं दे रही थी. लोवर वेरिएंट्स की अगर बात करें तो इसमें आपको रेनॉ क्विड है जिसमें आपको सिर्फ ड्राइवर साइड एयरबैग ही मिलता है. मारुति सुजुकी एस-प्रेसो में भी सिंगल एयरबैग ही दिया गया है. वहीं कुछ और गाड़ियों की अगर बात करें तो इसमें डैटसन रेडिगो, हुंडई सेंट्रो, महिंद्रा बोलेरो भी शामिल है. ये भी माना जा रहा है कि नए नियम के लागू होने से वाहनों की कीमत कम से कम 5000-7000 रुपए बढ़ जाएगी.
सेफ्टी के एयरबैग के अलावा दूसरे फीचर भी जरूरी
स्पीड अलर्ट, रिवर्स पार्किंग सेंसर्स और सीट बेल्ट जैसे उपायों के जरिए कम कीमतों पर सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है. जल्एद ही आईएस में संशोधन और प्रस्तावित चाइल्ड लॉक सिस्टम को सभी चार-पहिया वाहनों में लागू नहीं किया जा सकता है. ये सिस्टम हालांकि अभी कमर्शियल वाहनों में प्रयोग होता है. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पैसेंजर सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रॉनिक स्टैबिलिटी कंट्रोल और ऑटोनॉमस इमर्जेंसी ब्रेकिंग सिस्टम को भी वाहनों के लिए जरूरी किया जाएगा. इसे वित्त वर्ष 2022-23 से लागू किया जा सकता है. सरकार की कोशिश है कि इंडिया में कार का सेफ्टी स्टैंडर्ड ग्लोबल स्टैंडर्ड से मैच करे और इसी दिशा में लगातार कदम बढ़ाए जा रहे हैं.