AGR मामला: सुप्रीम कोर्ट टेलीकॉम कंपनियों की अपील पर जल्द सुनाएगा फैसला
टेलीकॉम कंपनियों की अपील पर जल्द सुनाएगा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा है कि वह टेलीकॉम सेक्टर की प्रमुख कंपनियों द्वारा समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenue) की गणना में गलतियों के मुद्दों को उठाने वाली कंपनियों की अपीलों पर आदेश जारी करेगा. टेलीकॉम सेक्टर की प्रमुख कंपनियों वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह मामला उठाया है. इन कंपनियों ने कहा है कि उन्हें जिस एजीआर का भुगतान करना है, उसकी गणना में गलतियां हैं और उसे ठीक करने की जरूरत है.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को सरकार को एजीआर का बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया था. टेलीकॉम ऑपरेटरों को एजीआर के 93,520 करोड़ रुपये के भुगतान में काफी मुश्किलें आ रही हैं. जस्टिस एल एन राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में पूर्व में दिए गए निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा कि एजीआर के बकाये को लेकर कोई पुन: आकलन नहीं हो सकता. पीठ में जस्टिस एस ए नजीर तथा जस्टिस एम आर शाह भी शामिल हैं.
हालांकि, टेलीकॉम कंपनियों का कहना था कि ये मैथमेटिकल मिस्टेक हैं जिन्हें दुरुस्त करने की जरूरत है. इसमें कई एंट्रीज दो बार दर्ज हैं. वोडाफोन आइडिया की ओर से उपस्थित सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि वे इसके लिए टेलीकॉम डिपार्टमेंट को दोष नहीं दे रहे हैं, क्योंकि ये गणित से जुड़ी गलतियां हैं. उन्होंने कहा कि वे इन एंट्रीज को टेलीकॉम डिपार्टमेंट के समक्ष रखना चाहते हैं कि जिससे वह इस पर पुनर्विचार कर सके.
पीठ ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में कहा था कि इसका पुन:आकलन नहीं हो सकता. रोहतगी ने कहा कि कई न्यायाधिकरणों के पास समीक्षा का अधिकार नहीं होता, लेकिन उनके पास गणितीय त्रुटि को सुधारने का अधिकार होता है. एयरटेल की ओर से उपस्थित सीनियर एडवोकेट ए एम सिंघवी ने कहा कि कई एंट्रीज के दोहराव के मामले हैं. साथ ही जो भुगतान किया जा चुका है उसे दर्शाया नहीं गया है. सिंघवी ने कहा कि टेलीकॉम डिपार्टमेंट को इन मुद्दों पर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा, ''मैं इन गलतियों के आधार पर मैं हजारों करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करना चाहूंगा.''
टाटा टेलीसर्विसेज के वकील अरविंद दातार ने कहा कि गणना में गलतियों को सुधारा जा सकता है. पीठ ने कहा कि वह इस मामले में सिर्फ पुन: आकलन पर रोक के मुद्दे को देख रही थी. इसके बाद पीठ ने टेलीकॉम डिपार्टमेंट की ओर उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से टेलीकॉम कंपनियों द्वारा उठाए गए मुद्दों के बारे में पूछा. मेहता ने इसपर कहा कि वह उन्हें इस बारे में निर्देश नहीं है. उन्होंने कहा, ''एक-दो दिन में मैं इस पर पुख्ता निर्देश हासिल करूंगा.''
इसके बाद पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर आदेश पारित करेगी. कंपनियों पर सांविधिक बकाए की वसूली के मामले में कोर्ट ने गत वर्ष सितंबर में निर्णय दिया था कि कंपनियां बकाए का दस प्रतिशत 31 मार्च 2021 तक जमा कराएंगी . बाकी रकम वे मासिक किश्तों में मार्च 2031 तक जमा करेंगी.