रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बाद स्मार्टफोन, लैपटॉप और कार समेत ये चीजें हो सकती है महंगी

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत हो चुकी है। अगर युद्ध लंबा चलता है, तो इसका असर केवल रूस और यूक्रेन तक सीमित नहीं रहेगा। युद्ध की हालात में भारत समेत दुनियाभर में स्मार्टफोन, कार और लैपटॉप समेत हर एक इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट की कीमत में बेतहाशा इजाफा हो सकता है।

Update: 2022-02-25 02:54 GMT

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत हो चुकी है। अगर युद्ध लंबा चलता है, तो इसका असर केवल रूस और यूक्रेन तक सीमित नहीं रहेगा। युद्ध की हालात में भारत समेत दुनियाभर में स्मार्टफोन, कार और लैपटॉप समेत हर एक इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट की कीमत में बेतहाशा इजाफा हो सकता है। जी हां, युद्ध की स्थिति में दुनियाभर में चिपसेट की कमी हो जाएगी।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन से अमेरिका को 90 फीसदी सेमीकंडक्टर ग्रेड नियॉन सप्लाई होता है। वही रूस से अमेरिका को 35 फीसदी पैलेडियम सप्लाई किया जाता है। यह दोनों प्रोडक्ट चिपसेट निर्माण में अहम रोल अदा करते हैं। रूस का ग्लोबली 45 फीसदी सप्लाई पर है। यूक्रेन और रूस से सप्लाई रुकने पर सेंसर और मेमोरी समेत बनाने का काम रुक सकता है। साथ ही यूक्रेन और रुस से आने वाले मेटल की भी सप्लाई बंद होने से चिपसेट निर्माण रुक सकता है। यह सभी कारक सेमीकंडक्टर बनाने के कारोबार पर ब्रेक लगा सकते हैं।

जापान की कंपनी ने जताई चिंता

जापान की एक चिम बनाने वाली कंपनी ने कहा कि पहले से ही इन प्रोडक्ट की सप्लाई कम थी। ऐसे में युद्ध के हालात में सप्लाई पूरी तरह से बंद हो सकती है, जो कि गंभीर संकट पैदा कर सकता है। ऐसे में चिप की कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी हो सकती है।

कैसे बनते हैं सेमीकंडक्टर चिप्स

सेमीकंडक्टर का मतलब अर्धचालक होता है और इसका इस्तेमाल करंट को नियंत्रित करने में किया जाता है। सेमीकंडक्टर असल में सिलिकॉन से बनाए जाते हैं। यह इलेक्ट्रिसिटी के अच्छे कंडक्टर होते हैं। जिसे एक माइक्रो सर्किट में फिट करके तैयार किया जाता है। साधारण शब्दों में कहें, तो बिना सेमीकंडक्टर के किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की कल्पना नहीं की जा सकती है। सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, वायरलेस नेटवर्किंग, 5G, IoT, ड्रोन, रोबोटिक्स, गेमिंग इंडस्ट्री में किया जाता है।


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