आखिर जियो के स्टैंडएलोन 5G नेटवर्क में क्या है खास, जानें क्यों है पावरफुल
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सोमवार को अपनी एजीएम में जो घोषणाएं कीं, उनमें सबसे अहम है देश में जियो 5जी सेवा की दिवाली तक शुरुआत। कंपनी ने 5जी सेवा के लिए एक टर्म का प्रयोग किया 'स्टैंडएलोन 5जी'। देश में कोने-कोने तक दिसंबर 2023 तक 5जी सेवा ले जाने के साथ काम कर रही जियो की यह स्टैंडएलोन 5जी सेवा आखिर है क्या?
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सोमवार को अपनी एजीएम में जो घोषणाएं कीं, उनमें सबसे अहम है देश में जियो 5जी सेवा की दिवाली तक शुरुआत। कंपनी ने 5जी सेवा के लिए एक टर्म का प्रयोग किया 'स्टैंडएलोन 5जी'। देश में कोने-कोने तक दिसंबर 2023 तक 5जी सेवा ले जाने के साथ काम कर रही जियो की यह स्टैंडएलोन 5जी सेवा आखिर है क्या?
दो तरह के 5जी नेटवर्क
5जी सेवा में प्रमुख रूप से दो प्रकार के नेटवर्क का प्रयोग किया जाता है, स्टैंडएलोन और नान स्टैंडएलोन। फिलहाल जियो ही स्टैंडएलोन नेटवर्क का प्रयोग करने की तैयारी में दिख रही है।
स्टैंडएलोन नेटवर्क
स्टैंडएलोन नेटवर्क में 5जी सेवा पूरी तरह से स्वतंत्र होती है और इसके लिए कंपनी को पूरा बुनियादी ढांचा बनाना पड़ता है। यह कंपनी की 4जी सेवा से पूरी तरह अलग होता है।
लागत और समय का अंतर
चूंकि नान स्टैंडएलोन नेटवर्क पहले से चल रही 4जी सेवा से संबंद्ध होता है सो इसके लिए अलग से ढांचा बनाने में खर्च नहीं करना पड़ता। स्टैंडएलोन नेटवर्क में कंपनी को पूरा सेटअप बनाने के लिए भारी रकम खर्च करनी पड़ती है। साथ ही समय भी अधिक लगता है क्योंकि सारा कार्य नए सिरे से किया जाता है। इसी कारण जियो ने 5जी सेवा के लिए दो लाख करोड़ रुपये के भारी निवेश की तैयारी की है।
क्षमता भी होती है अलग
स्टैंडएलोन और नान स्टैंडएलोन नेटवर्क में एक बड़ा अंतर क्षमता का भी होता है। अलग व्यवस्था पर संचालित होने के कारण स्टैंडएलोन नेटवर्क 5जी सेवा की पूरी क्षमता का उपयोग कर सकता है।
स्टैंडएलोन नेटवर्क में स्लाइसिंग की भी सुविधा होती है जिसके कारण कंपनी आवंटित 5जी स्पेक्ट्रम का प्रभावी रूप से उपयोग कर पाती हैं।
माना जाता है कि नान स्टैंडएलोन नेटवर्क का प्रयोग करने वाली कंपनियों को बाद में स्टैंडएलोन नेटवर्क की व्यवस्था बनानी पड़ती है। यह वैश्विक ट्रेंड रहा है। हालांकि आरंभ में कम लागत के कारण यह अधिकांश कंपनियों द्वारा पसंद किया जाता है।