सरकार की एक योजना से किसानो को सूखे केले से 15 लाख रुपए सलाना कमाई की मिली मदद
Farmers of Tiruchirappalli, Tamil Nadu earn Rs 15 lakh annually from dried bananas
जनता से रिश्ता वेबडेस्क:- तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के किसान सूखे केले से 15 लाख रुपए सलाना की कमाई कर रहे हैं. सरकार से मिली मदद ने यहां के किसानों की जिंदगी बदल दी है. दरअसल, यहां के किसान मांग से अधिक केले के उत्पादन से परेशान थे. जरूरत से ज्यादा उत्पादन होने के कारण उन्हें केला सस्ते दरों पर बेचना पड़ता था.
कई बार तो ऐसी स्थिति आ जाती थी कि स्थानीय स्तर पर खरीददार तक नहीं मिलते थे और अपने खर्चे पर दूर-दराज के बाजार में ले जाकर यहां कि किसान औने-पौने दाम पर केला बेचने को मजबूर थे. लेकिन अब स्थिति बदल गई है. किसान मोटी कमाई करने के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं.
तिरुचिरापल्ली में ज्यादातर छोटे और सीमांत किसान हैं. संसाधान की कमी के कारण केले को सुरक्षित रखने के लिए वे जरूरी उपकरण नहीं खरीद पा रहे थे. केला जल्द खराब हो जाने वाला फल है. लंबे समय तक उसे सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोर की जरूरत पड़ती है लेकिन सामान्य किसान इसे खरीद नहीं सकते. ऐसे में इन किसानों को राज्य सरकार की एक योजना से मदद मिली.
तमिलनाडु सरकार सोलर ऊर्जा पर संचालित एक डिहाइड्रेशन प्रोजेक्ट शुरू कर रही थी और 50 प्रतिशत सब्सिडी पर किसानों को दिया जा रहा था. तिरुचिरापल्ली के किसान कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था तो नहीं कर पाए लेकिन सरकारी प्रोजेक्ट की मदद से डिहाइड्रेशन प्लांट स्थापित कर लिया. अब किसान इसकी मदद से अपने केले को सूखाकर तमाम बाई प्रोडक्ट्स बनाते हैं और उन्हें अच्छे दाम पर बेचते हैं.
किसानों ने ग्राहकों तक पहुंच के लिए तमिलनाडु केल उत्पादक कंपनी से समझौता कर लिया. वे सोशल मीडिया के जरिए भी अपने प्रोडक्ट का प्रचार करते हैं. केले से बने बाई प्रोडक्ट युवाओं को बीच काफी लोकप्रिय हैं. किसानों ने समूह में आकर अपनी समस्या का न सिर्फ समाधान कर लिया बल्कि आज अच्छी कमाई कर समृद्ध जीवन भी जी रहे हैं.
किसानों के इस समूह को राष्ट्रीय केला अनुसंधान केंद्र से पुरस्कार भी मिल चुका है. इस प्रोजेक्ट की स्थापना से आसपास के लोगों, खासकर महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बने हैं. पहले जहां किसानों को ज्यादा केला का उत्पादन करना परेशानी का सबब बन जाता था, अब वह जरूरत बन गया है. पहले से ज्यादा केला उत्पादन कर किसान उसके बाई प्रोडक्ट बना रहे हैं.