बिटक्वाइन में भारी गिरावट... पिछले सप्ताह छुआ था रिकॉर्ड स्तर, जानें कितनी है कीमत

पिछले सप्ताह उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद दुनिया की सबसे बड़ी और लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी, बिटक्वाइन की कीमत में रविवार को भारी गिरावट आई।

Update: 2021-04-19 08:54 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क:  पिछले सप्ताह उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद दुनिया की सबसे बड़ी और लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी, बिटक्वाइन की कीमत में रविवार को भारी गिरावट आई। यह 14 फीसदी लुढ़ककर 51,541 डॉलर तक पहुंच गया। भारतीय रुपयों के हिसाब से एक बिटक्वाइन की कीमत 36 लाख रुपये के अधिक है। इसके बाद एक बिटक्वाइन की कीमत 53,991 डॉलर पर पहुंच गई, जो बुधवार के उच्च स्तर के मुकाबले 12 हजार डॉलर नीचे है।

दरअसल, तुर्की के सेंट्रल बैंक ने देश में खरीद के लिए क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टो एसेट्स के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। तुर्की का कहना है कि इससे लोगों को भारी नुकसान होगा और इसमें ट्रांजेक्शन जोखिम भी है। इसके बाद ही बिटक्वाइन में गिरावट आना शुरू हुई। इससे पहले चार जनवरी को एक बिटक्वाइन की कीमत 27,734 डॉलर थी। नौ फरवरी को बिटक्वाइन की कीमत 44,141 डॉलर पर पहुंच गई थी। 17 मार्च को एक बिटक्वाइन 55,927.77 डॉलर पर पहुंच गया। एक अप्रैल को बिटक्वाइन की कीमत 60 हजार डॉलर के पार पहुंची थी। मालूम हो कि ब्लूमबर्ग बिटक्वाइन (BTC) विशेषज्ञों का दावा है कि इसकी कीमत चार लाख डॉलर यानी करीब 29864140 रुपये तक पहुंच सकती है।
क्या है बिटक्वाइन?
बिटक्वाइन वर्चुअल करेंसी है। इसकी शुरुआत साल 2009 में हुई थी, जो कि अब धीरे-धीरे इतनी लोकप्रिय हो गई है कि इसकी एक बिटक्वाइन की कीमत लाखों रुपये में के बराबर पहुंच गई है। इसे क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है, क्योंकि भुगतान के लिए यह क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल करता है। यानी, अब इस करेंसी को भविष्य की करेंसी भी कह सकते हैं।
कैसे होता है लेन-देन?
बिटक्वाइन के लेन-देन के लिए उपभोक्ता को प्राइवेट की (कुंजी) से जुड़े डिजिटल माध्यमों से भुगतान का संदेश भेजना पड़ता है, जिसे दुनिया भर में फैले केंद्रीकृत नेटवर्क के जरिए सत्यापित किया जाता है। इसके जरिए होने वाला भुगतान डेबिट या क्रेडिट कार्ड के जरिए होने वाले भुगतान के विपरीत है। बिटक्वाइन एक आभासी मुद्रा है, जिसका इस्तेमाल केवल ऑनलाइन लेनदेन के लिए किया जाता है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2018 में लगाया था बैन
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने साल 2018 में एक सर्कुलर जारी कर क्रिप्टोकरेंसी कारोबार को बैन किया था। लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल करेंसी, जिसे क्रिप्टोकरेंसी भी कहते हैं, उससे ट्रेड को मंजूरी दे दी थी। कोर्ट के इस आदेश के बाद वर्चुअल करेंसी जैसे बिटक्वाइन में कानूनी रूप से लेन-देन किया जा सकता है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी खरीदने-बेचने पर थी 10 साल की जेल
क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2019 के ड्राफ्ट में यह प्रस्ताव दिया गया था कि देश में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री करने वालों को 10 साल की जेल की सजा मिलेगी। ड्राफ्ट के मुताबिक इसकी जद में वे सभी लोग आएंगे जो क्रिप्टोकरेंसी तैयार करेगा, उसे बेचेगा, क्रिप्टोकरेंसी रखेगा, किसी को भेजेगा या क्रिप्टोकरेंसी में किसी प्रकार की डील करेगा। इन सभी मामलों में दोषी पाए जाने वालों को 10 साल तक की जेल की सजा मिलती थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने यह प्रतिबंध हटा दिया है।
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