आम के पेड़ लगाकर हर साल 7 लाख की कमाई, जानिए इस किसान ने कैसे की इस उत्पादन में खर्च

किसानों की सक्सेस स्टोरी में आज हम बात करेंगे जयंतीभाई गोसाईभाई पटेल की. गुजरात के नवसारी जिले में रूपन तालाव गांव के रहने वाले गोसाईभाई पटेल आम की बागवानी करते हैं.

Update: 2021-01-26 08:15 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | किसानों की सक्सेस स्टोरी में आज हम बात करेंगे जयंतीभाई गोसाईभाई पटेल की. गुजरात के नवसारी जिले में रूपन तालाव गांव के रहने वाले गोसाईभाई पटेल आम की बागवानी करते हैं. इनकी खेती का यही सबसे बड़ा जरिया है. 2 एकड़ जमीन पर गोसाईभाई पटेल ने आम के पेड़ लगाए हैं और आज उनकी कमाई लाखों रुपये में होती है.

जयंतीभाई एसएससी पास हैं लेकिन पढ़ाई से ज्यादा उन्हें अपनी खेती पर भरोसा है. तभी उन्होंने वर्षों पहले खेती खासकर आम की बागवानी पर ध्यान दिया और इसे ही अपना स्वरोजगार का साधन बना लिया. जयंतीभाई आम के अलावा सपोता और सब्जियों की भी खेती करते हैं जिससे उन्हें अच्छी आमदनी होती है.

शुरू में आमों से उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ क्योंकि वे पारंपरिक तौर पर बागवानी करते थे और आम का उत्पादन करते थे. बाद में उन्हें वैज्ञानिक खेती का पता चला जिसकी उन्होंने ट्रेनिंग ली और उसी हिसाब से आम का उत्पादन शुरू किया. उनके खेती के तरीके में बड़ा बदलाव और उन्हें बागवानी के हर स्तर पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपना कर उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया. अच्छी जमीन का चयन, आम के पौधे लगाने के लिए मिट्टी तैयार करना, सही आम के कलम तैयार करना, आर्गेनिक फर्टिलाइजर का इस्तेमाल, कीटनाशकों का सही प्रबंधन, तकनीकी आधारित खेती और फलों की सही ढंग से ग्रेडिंग इसमें शामिल है.

कलमी पौधों से अच्छी पैदावार

आम की पैदावार अच्छी मिले, इसके लिए जरूरी है सही पौधों का चयन. इसके लिए जयंतीभाई ने अच्छी क्वालिटी के कलम लाए और इसके लिए उन्होंने सरकार से मान्यताप्राप्त नर्सरी को चुना. पौधे लगाए जाने के बाद विशेष सावधानी बरती गई. कलमी पौधों को एक तरफ लकड़ी का सहारा दिया गया जबकि दूसरी तरफ अरंडी के पौधे लगाए गए ताकि पौधों पर सूर्य की डायरेक्ट और तीखी रोशनी न पड़े. इस वैज्ञानिक खेती से शुरुआती चरण में ही अच्छी सफलता मिली और पौधों पर जल्दी मंजर आ गए, फल भी जल्दी लग गए.

आम के मंजर पर कीटों का बड़ा हमला होता है. इससे बचने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव किया गया. इसके लिए ट्रैक्टर पर फर्टिलाजर छिड़काव के लिए पंप लगाए गए ताकि मजदूरों पर आने वाला खर्च कम किया जा सके. हार्वेस्टिंग के स्टेज पर भी जयंतीभाई ने आम के पेड़ों और फलों का पूरा खयाल रखा. आमों को या तो चुन-चुन कर हाथ से तोड़ा गया या नुकसान से बचने के लिए मशीन का सहारा लिया गया.

ग्रेडिंग से बेहतर मुनाफा

बाजार में अच्छी बिक्री के लिए आमों की ग्रेडिंग बहुत जरूरी है. ग्रेडिंग जितना सही होगा, उत्पादन की सही कीमत मिलेगी और मुनाफा भी होगा. इसके लिए जयंतीभाई ने सभी आमों की ग्रेडिंग की और फिर उसे क्रेट में रखा. यह खेती का तरीका कोई एक बार की बात नहीं है. जयंतीभाई हर साल इसी तरह आम की पैदावार करते हैं. उनके आमों की क्वालिटी इतनी बेहतर होती है कि सारा माल बाजार ले जाने या भेजने की जरूरत नहीं पड़ती. पूरे उत्पादन का 70 फीसद हिस्सा बाग से या घर से ही बिक जाता है. इसके बाद जो आम बचता है उस पर ढुलाई, परिवहन में नुकसान, हैंडलिंग चार्ज और कमीशन जैसे खर्च जोड़ते हुए बाजार में बेच दिया जाता है.

वैज्ञानिक खेती को सम्मान

सड़े या खराब हुए आमों को ठिकाने लगाने का भी एक उचित तरीका है जिसका पूरी तरह पालन किया जाता है. खराब हुए अधपके फलों को खेत के बगल में बने गड्ढे में डाल दिया जाता है. जयंतीभाई की इस वैज्ञानिक खेती के कारण उन्हें बेस्ट एटीएमए अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. 2013-14 में उन्हें यह पुरस्कार जिला स्तर पर दिया गया था. वैज्ञानिक खेती और किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए जयंतीभाई को पुरस्कार से नवाजा गया.

लगातार बढ़ती गई इनकम

आम की खेती से जयंतीभाई की कमाई लगातार बढ़ती गई है. 2010-11 में उन्होंने प्रति हेक्टेयर 15 हजार किलो आम का उत्पादन किया. इससे 2,25,000 रुपये की कमाई हुई. खेती पर 75 हजार रुपये का खर्च आया. इस लिहाज से लागत निकालने के बाद जयंतीभाई को डेढ़ रुपया बच गया. इसी तरह 2011-12 में आम का उत्पादन पिछले साल की तुलना में बढ़ गया और 18800 किलो आम की उपज प्राप्त हुई. इससे कुल कमाई 3,76,000 रुपये की हुई.

सात लाख की कमाई

2011-12 में बागवानी पर 92,000 रुपये का खर्च आया. खर्च काट दें तो जयंतीभाई को 2,84,000 रुपये की शुद्ध कमाई हुई. एक साल बाद 2012-13 में कमाई में बड़ी उछाल देखी गई. प्रति हेक्टेयर 24 हजार किलो आम का उत्पादन हुआ. इससे कुल आमदनी 6,60,000 रुपये हुए. खेती पर डेढ़ लाख रुपये का खर्च हुआ. इस हिसाब से जयंतीभाई को एक साल में 5,10,000 रुपये की कमाई हुई.

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