ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर 28 फीसदी जीएसटी, जानें इसके मायने

ऑनलाइन गेम्स पिछले कुछ वर्षों में काफी पॉप्युलर हुए हैं। सस्ते मोबाइल और डेटा की वजह से हर छोटे शहरों और गांवों तक ऑनलाइन गेमिंग की पहुंच हो सकती है। इसकी के चलते भारत में ऑनलाइन गेमिंग वाली कंपनियों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

Update: 2022-08-01 05:14 GMT

ऑनलाइन गेम्स पिछले कुछ वर्षों में काफी पॉप्युलर हुए हैं। सस्ते मोबाइल और डेटा की वजह से हर छोटे शहरों और गांवों तक ऑनलाइन गेमिंग की पहुंच हो सकती है। इसकी के चलते भारत में ऑनलाइन गेमिंग वाली कंपनियों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। खासकर लॉकडाउन के बाद से भारत में गेमर्स की संख्या तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ऐसे में सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर को रेगुलेट करने का निर्णय लिया है और 28 फीसदी जीएसटी लगाने पर विचार कर रही है। इस बारे में दैनिक जागरण ने द डॉयलॉग के आयुष त्रिपाठी से बाताचीत की, जो इस प्रकार है..

दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत ऑनलाइन गेमिंग के मामले में कहां ठहरता है?

भारत 30 करोड़ से ज्यादा मोबाइल गेमर्स के साथ दुनिया के टॉप-5 देशों की लिस्ट में शामिल है। आंकड़ों की बात करें, तो मौजूदा वक्त में भारत में 275 से ज्यादा गेमिंग कंपनियां मौजूद हैं। जबकि 15,000 से ज्यादा गेम डेवलपर्स हैं।

भारत में ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट करने की कब शुरुआत हुई?

देश में बढ़ते ऑनलाइन गेमिंग को देखते हुए सरकार ने हाल ही में गेमिंग सेक्टर को रेगुलेट करने का ऐलान किया। इसकी शुरुआत बजट 2022 से हुई। सरकार ने ऑडियो विजुअल, गेमिंग और कॉमिक (एवीजीसी) टास्क फोर्स की स्थापना की। साथ ही ऑनलाइन गेमिंग पर एक इंटर मिनिस्ट्रियल कमेटी के गठन से हुई है, जहां ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसद जीएसटी लगाने का प्रस्ताव रखा गया।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जीएसटी परिषद की बैठक में सभी मंत्रियों के समूह ने कैसीनो, घुड़दौड़ और ऑनलाइन गेमिंग के लिए 28% जीएसटी की सिफारिश की है। साथ ही सुझाव दिया है कि ऑनलाइन गेमिंग में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी की ओर से दी गई एंट्री फीस को टैक्स के दायरे में लाना चाहिए। ऐसी खबर है कि इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए प्रस्ताव को कानून समिति के पास भेजा गया है। देखिए, मेरा कहना है कि पूरी ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर एक समान टैक्स नहीं लगाना चाहिए। इसके लिए समित को हर गेम की मेरिट और स्किल को समझना चाहिए। इसके बाद अलग-अलग तरह के गेम के लिए अलग-अलग टैक्स स्लैब का ऐलान करना चाहिए, क्योंकि ऑनलाइन गेमिंग में ऑनलाइन गेम और स्किल बेस्ड ऑनलाइन दोनों तरह के गेम शामिल हैं।

सट्टेबाजी, जुआ वाले गेम को अलग करना चाहिए और उन्हें व्यापार और कारोबार का अधिकार नहीं देना चाहिए। लेकिन ऑनलाइन स्किल बेस्ड गेम्स को जुआ और सट्टेबाजी नहीं माना जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की तरफ से स्किल्ड बेस्ड गेम को जुआ और सट्टेबाजी नहीं माना जाता है। साधारण शब्दों में कहें, तो स्किल्ड बेस्ड गेम जैसे ऑनलाइन रम्मी, फैंटसी स्पोर्ट, शतरंज और कैसीनो, सट्टेबाजी और जुआ को एक ही छतरी के नीचे क्लब करना उचित नहीं है।


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