जीवन में सफलता पाने के लिए जल्द ही करें ये उपाय
कमल राधाकृष्ण श्रीमाली। गृहस्थ जीवन मानव के लिए वरदान है क्योंकि पूरे समाज का ढांचा और समाज के सभी वर्ग गृहस्थी पर ही आधारित हैं।
जनता से रिश्ता बेवङेस्क | कमल राधाकृष्ण श्रीमाली। गृहस्थ जीवन मानव के लिए वरदान है क्योंकि पूरे समाज का ढांचा और समाज के सभी वर्ग गृहस्थी पर ही आधारित हैं। साधु, संन्यासी, योगी आदि भी गृहस्थ शिष्यों के सहारे जीवनयापन करते हैं, परन्तु आधुनिक सभ्यता में जरूरत से ज्यादा मानसिक चिंताओं आदि की वजह से परिवार टूटने लगे हैं, पारिवारिक मतभेद अपने चरम पर पहुंच जाते हैं और घर का माहौल अशांतिमय बन जाता है।
घर-परिवार में शांति, खुशहाली के लिए
शुक्ल पक्ष के बृहस्पति को यह क्रिया शुरू करें और 11 वीरवार तक लगातार करें। घर या व्यापार स्थल के मुख्य द्वार के एक कोने को गंगा जल से धो लें। इसके बाद स्वस्तिक बनाएं। उस पर चने की दाल और थोड़ा-सा गुड़ रख दें। इसके बाद स्वस्तिक को बार-बार देखें। अगर वह खराब हो जाए तो सामान को इकट्ठा करके जल प्रवाह करें। 11 वीरवार के बाद गणेशजी को सिंदूर लगाकर उनके सामने पांच लड्डू रखें तथा कहें 'जय गणेश काटो क्लेश'। इससे व्यापार में वृद्धि होगी और खुशहाली रहेगी।
मनोकामना पूर्ति
यह सिद्ध प्रयोग है। वीरवार के दिन, पुष्य नक्षत्र होने पर यह विशेष प्रभावशाली होगा। वीरवार के दिन सूर्योदय के समय (1 घंटे तक) या सूर्यास्त के समय कच्चे सूत को 11 बार लपेटें, अपनी आवश्यकतानुसार लें और इसमें बल चढ़ा लें, ताकि सूत मजबूत हो जाए। शुद्ध केसर को गंगाजल में घोल कर उससे इसे केसरिया रंग में रंग लें। फिर इसे भगवान के चरणों में रख कर अपनी इच्छा तीन बार मन में बोलें। भद्रारहित समय में (उस दिन वीरवार को कार्य करते समय भद्रा न हो) इसे अपने दाहिने हाथ की कलाई पर बांध लें, या गले में बांध लें।
यात्रा पर जाने से पहले
एक नारियल को हाथ में लेकर 11 बार 'श्री हनुमंते नम:' कह कर धरती पर मार कर तोड़ दें। उसके जल को अपने ऊपर छिड़क लें और गिरी को निकालकर बांट दें तथा खुद भी खाएं, तो यात्रा सफल रहेगी तथा काम भी बन जाएगा। घर मे आपसी झगड़े और मतभेद से घर का वातावरण अशांत और कलहपूर्ण हो जाता है। अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो यह उपाय करें-
नित्य प्रात: उठकर बिना स्नान किए बिना दातुन एक रोटी अपने हाथों से पकाकर तेल से चुपड़ कर काले कुत्ते को खिला देनी चाहिए, इसके बाद ही नित्य कर्म सम्पन्न करने चाहिएं। घर में दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करें, रात्रि को उसमें जल भर कर रख दें तथा प्रात:काल उस जल को पूरे घर में छिड़क दें। प्रत्येक शनिवार को तेल में बड़े बनाकर आकाश में उड़ती हुई चीलों को खिलाने चाहिए। हर शनिवार को लगभग एक किलो बड़े पकाकर खिलाने चाहिएं और इस प्रकार सोलह शनिवार तक करना चाहिए।
संकट नाश
"हे कृष्ण द्वारकावासिन, क्कासि यादवनंदन।
आपाद्रिभं परिभूतां मां त्रायस्वाशु जनार्दन।"
इस मंत्र का कम से कम 108 बार नित्य जप करने से विपत्ति का नाश होता है। अनुष्ठान के लिए इसका 51,000 और दशांश के लिए 5100 जप या आहूतियां आवश्यक हैं। अपने भोजन में से गाय, कौआ और कुत्ते तीनों के लिए कुछ हिस्सा पहले ही अलग रख लेना चाहए तथा भोजन के बाद उसे जानवरों को खिला देना चाहिए।
कार्य में असफलता मिलने पर
प्रात: काल 7 से 9 बजे के बीच (बुधवार अधिक उपयुक्त) कच्चा सूत लेकर सूर्य देव के सामने मुंह करके खड़े हो जाएं। फिर सूर्य देव को नमस्कार करके 'ऊँ हीं घृणि सूर्य आदित्य श्री' मंत्र बोलते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं। जल में रोली, चावल, चीनी और लाल पुष्प डाल लें। इसके बाद कच्चे सूत को सूर्य देव की ओर करते हुए, गणेश जी का स्मरण करते हुए, सात गांठें लगाएं। ध्यान रहे कि एक गांठ पर दूसरी गांठ न आए। इसके बाद इस सूत को किसी तावीज में रखकर अथवा प्लास्टिक में लपेट कर, अपनी कमीज की जेब में रख लें, या गले में धारण करें। आपके बिगड़े काम बनने लगेंगे। अधिक अनुकूलता के लिए ऊपर दिए सूर्य मंत्र का जप 1 माला रोज 42 दिन तक करें।
घर-परिवार को एक सूत्र में बांधें इस तरह
अपने बैठक खाने की दक्षिण पश्चिम दिशा में सारे परिवार के सदस्यों का प्रसन्नचित्त मुद्रा वाले छायाचित्र लगाइए। यह उपाय उन घरों के लिए और भी प्रभावशाली हैं जहां अक्सर झगड़े होते हैं जैसे बाप-बेटे, सास-बहू आदि में।
सम्मान प्राप्ति के लिए
शुद्ध जल में गंगाजल या अन्य किसी तीर्थ का जल या फिर कुएं का ही सादा साफ जल में गुंजा-मूल को चंदन की भांति घिसें। उत्तम होगा कि किसी कुमारी कन्या या ब्राह्मण के हाथों पिसवा लें। यह लेप माथे पर चंदन की भांति लगाएं, लेप करें। ऐसा जातक (चंदन धारित मस्तक वाला) जहां भी जाता है हर जगह समाज, समारोह में उसे विशेष सम्मान प्राप्त होता है।
घर रहे धन-धान्य से भरपूर
अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का सपना आज हर व्यक्ति का पहला सपना होता है लेकिन वह लाख कोशिशों के बावजूद भी प्राय: अपने को असफल पाता है। इसके लिए आप छोटा-सा कार्य करें। जब आप गेहूं पिसवाने जाएं तो उसमें पहले तुलसी के 11 और केसर के दो पत्ते डालकर थोड़े से गेहूं को मंदिर में रात्रि को रख दें। प्रात:काल उस गेहूं को समस्त गेहूं में मिलाकर पिसवा वें। आपके घर में धन के आने का रास्ता बनेगा और धन का संग्रह भी होगा।
सुख-शांति लाएं और अशांति दूर भगाए इस तरह
अशोक वृक्ष के सात पत्ते लेकर, उसको मंदिर में रख कर पूजा करें। जब वह मुरझाने लगे तो नए पत्ते रख दें और पुराने को पीपल के नीचे रख आएं।