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18 करोड़ रुपए से बने संजौली हेलिपोर्ट को नहीं मिला लाइसेंस

Shantanu Roy
27 April 2024 9:34 AM GMT
18 करोड़ रुपए से बने संजौली हेलिपोर्ट को नहीं मिला लाइसेंस
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शिमला। राजधानी शिमला के संजौली में बनाए गए सरकारी हेलिपोर्ट को दो साल से उड़ानों के लिए लाइसेंस नहीं मिला है। करीब 18 करोड़ का खर्च इस हेलिपोर्ट पर हुआ है। इसमें से 12 करोड़ स्वदेश दर्शन प्रोग्राम के हिमालय सर्किट में दिए गए थे, जबकि छह करोड़ भारत सरकार की उड़ान दो स्कीम के तहत लगाए गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 13 जनवरी, 2022 को इसका शुभारंभ भी कर दिया था, लेकिन तब से लेकर अब तक लाइसेंस न मिलने के कारण इस हेलिपोर्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सका है। यही वजह है कि शिमला शहर के नजदीक बनाए गए इस हेलिपोर्ट का टूरिज्म के लिए भी कोई लाभ नहीं मिला। हाई एल्टीट्यूड लोकेशन के अलावा मल्टी स्टोरी लेंटल पर बना यह हेलिपोर्ट डीजीसीए को पहले अलग-अलग कारणों से खटकता रहा। अब यहां नियुक्त पवन हंस के स्टाफ को बदलने के लिए कहा गया है। दरअसल डीजीसीए की रिक्वायरमेंट के बाद ही राज्य सरकार ने ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस के लिए सरकारी कंपनी पवन हंस से एमओयू कर लिया था, लेकिन डीजीसीए ने आपत्ति लगाई है कि पवन हंस खुद ऑपरेटर है, इसलिए यह एमओयू मान्य नहीं है।

इसके साथ ही पर्यटन विभाग को ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी से भी इसके लिए क्लीयरेंस लेनी है। अब पर्यटन विभाग सिक्योरिटी, फायर और अन्य तकनीकी पदों के लिए स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन के माध्यम से आउटसोर्स पर स्टाफ लेने की सोच रहा है। कारपोरेशन के साथ एक बैठक हो चुकी है और चीजें फाइनल हो रही हैं। चुनाव आचार संहिता होने के कारण भी इसमें कुछ देरी हो रही है। इस हेलीपोर्ट को ऑपरेशनल करने के लिए इससे पहले रक्षा मंत्रालय से कुछ क्लीयरेंस जरूरी थी। चंडीगढ़ एयरपोर्ट नजदीक होने के कारण ऐसा आवश्यक बताया था। इधर, टूरिज्म विभाग चाहता है कि यह हेलिपोर्ट जल्दी ऑपरेशनल हो जाए ताकि यहां से शेड्यूल्ड और नोन शेड्यूल्ड उड़ाने शुरू की जा सकें। वर्तमान में मुख्यमंत्री का हेलिकॉप्टर भी अन्नाडेल से ऑपरेट हो रहा है, जबकि अन्य तरह की हेलिकॉप्टर जो जुबड़हट्टी एयरपोर्ट से चलाने पड़ रहे हैं। शिमला के होटल कारोबारी जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट पर हवाई सेवाएं शुरू होने के बावजूद परेशान हैं। इसलिए शहर के बीच बने संजौली हेलिपोर्ट से सेवाएं शुरू करने का इंतजार हो रहा है। इस हेलिपोर्ट की ऊंचाई ज्यादा होने के कारण कम ऊंचाई पर नई जमीन की तलाश थी। डीसी शिमला को इसके बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय से कहा गया था, लेकिन अभी तक नई जगह नहीं मिली है। पर्यटन विभाग भी संजौली हेलिपोर्ट को ही ऑपरेशनल करने के लिए मेहनत कर रहा है।
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