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जयशंकर के बयान की वांग यी ने की तारीफ, भारत-चीन संबंधों पर दिया था ये बयान
Kajal Dubey
23 Jun 2022 6:18 PM GMT
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चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अपने समकक्ष एस. जयशंकर के यूरोपीय केंद्रीयता को दरकिनार करने और भारत व चीन को अपने रिश्ते संभालने में सक्षम बताने वाले बयान की भी तारीफ की। उन्होंने कहा, जयशंकर का बयान भारत की स्वतंत्रता की परंपरा को दर्शाता है।
जयशंकर ने हाल ही में भारत और चीन के रिश्तों में बाहरी दखल पर सार्वजनिक रूप से आपत्ति जताई थी और यूरोपीय केंद्रीयता को अस्वीकार कर दिया था।
3 जून को स्लोवाकिया की राजधानी ब्रात्सिलावा में हुई एक कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने कहा था, यूरोप को इस सोच से बाहर आना होगा कि उसकी तकलीफें पूरी दुनिया की मुश्किलें हैं लेकिन दुनिया की समस्याओं से उसका कोई लेना देना नहीं।
जयशंकर ने दो टूक कहा था कि चीन के साथ कुछ मुश्किलें हैं लेकिन उससे निपटने में भारत पूरी तरह सक्षम है। हमें किसी के दखल की जरूरत नहीं। दरअसल यूरोप ने बयान दिया था कि यूक्रेन पर भारत के रुख से चीन के साथ उसकी समस्या बढ़ने पर उसे मिलने वाले वैश्विक समर्थन पर असर होगा।
चीन में भारतीय राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की और उनसे सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने की गंभीरता बताई। उन्होंने कहा, सीमा क्षेत्रों में शांति स्थापित करने के लिए नेताओं के बीच जारी बातचीत पर जल्द से जल्द निष्कर्ष पर पहुंचना होगा। रावत ने मार्च में चीन में भारतीय राजदूत का पदभार संभाला है।
रावत और वांग के बीच द्विपक्षीय एवं बहुआयामी मुद्दों पर चर्चा हुई। वांग यी ने कहा, दोनों देशों के नेतृत्व के बीच उच्चतम स्तर पर, एशिया और दुनिया के लिए द्विपक्षीय संबंधों के महत्व पर सहमति है। पवार ने भी इस पर सहमति जताई। साथ ही इसे पूरी क्षमता से साकार करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर बल दिया। वांग यी ने कहा, सीमा मुद्दा महत्वपूर्ण है और हमें परामर्श व समन्वय के माध्यम से इसे शांतिपूर्वक संबोधित करने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
भारत के साझा हित मतभेदों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण : वांग यी
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने रावत से कहा, भारत के साथ साझा हित हमारे मतभेदों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। दोनों पक्षों को एक-दूसरे को कमजोर करने के बजाय समर्थन देना चाहिए, एक-दूसरे के खिलाफ सुरक्षा के बजाय सहयोग को मजबूत करना चाहिए। आपसी विश्वास को बढ़ाना चाहिए। दोनों पक्षों को एक-दूसरे से मिलना चाहिए ताकि द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द स्थिर और स्वस्थ विकास की पटरी पर लाया जा सके। दोनों देश मिलकर वैश्विक चुनौतियों का सामना करें। अपने व अन्य विकासशील देशों के साझा हितों की सुरक्षा करें।
उन्होंने दोनों देशों के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण रणनीतिक सहमति का पालन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, चीन और भारत को सांस्कृतिक आदान-प्रदान में अपने पारंपरिक लाभों पर भी ध्यान देना चाहिए। पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग का निरंतर विस्तार करते हुए, मानव जाति के लिए बेहतर भविष्य बनाने की दिशा में मिलकर काम करना चाहिए।
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