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योग दिवस के दिन कई गेस्ट की मौजूदगी में हुई थी हिंसा, मालदीव सरकार ने की निंदा

Gulabi Jagat
23 Jun 2022 11:29 AM GMT
योग दिवस के दिन कई गेस्ट की मौजूदगी में हुई थी हिंसा, मालदीव सरकार ने की निंदा
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मालदीव सरकार ने की निंदा
International Yoga Day Controversy: मालदीव सरकार ने मंगलवार को योग दिवस के मौके पर हुई हिंसा की निंदा की है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने जांच के आदेश दिए हैं. मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों में कहा है कि, "एक समूह द्वारा डिप्लोमेटिक कम्युनिटी के सदस्यों सहित प्रतिभागियों को लक्षित करने वाले इन हिंसक कृत्यों की सरकार निंदा करती है. देश में सार्वजनिक सुरक्षा को बाधित करने के उद्देश्य से किए गए हिंसा के ऐसे दुर्भावनापूर्ण कृत्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा".
कई गेस्ट की मौजूदगी में हुई थी हिंसा
बता दें कि मालदीव की राष्ट्रीय राजधानी माले में चरमपंथी तत्वों द्वारा योग दिवस कार्यक्रम को बाधित करने के मकसद से मंगलवार को योग दिवस के मौके पर काफी हिंसा हुई. योग दिवस कार्यक्रम का आयोजन मालदीव में भारतीय उच्चायोग, युवा, खेल और सामुदायिक अधिकारिता मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र मालदीव के साथ मिलकर किया गया था. हिंसा के वक्त कार्यक्रम में मालदीव के युवा और खेल मंत्री, भारतीय उच्चायुक्त और मालदीव के विदेश सचिव, कई उच्चायुक्त और संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट को-ऑर्डिनेटर मौजूद थे.

अपराध विभाग कर रहा मामले की जांच
मालदीव के राष्ट्रपति ने इस घटना को लेकर ट्विटर पर चिंता जताई. उन्होंने ट्वीट किया कि, "यह गंभीर चिंता का विषय है और जिम्मेदार लोगों को कानून के सामने लाया जाएगा." वहीं, मालदीव पुलिस सेवा (एमपीएस) ने घटना की उच्च प्राथमिकता से जांच शुरू कर दी है. अपराध जांच कमान का गंभीर एवं संगठित अपराध विभाग इस घटना की जांच कर रहा है. फिलहाल 6 लोगों को हिरासत में लिया गया है.
हिंसा में विपक्षी पार्टी PPM का हाथ
पुलिस का कहना है कि, विपक्षी पार्टी प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) की इस हिंसा में भूमिका थी. पुलिस विभाग के एक बयान में कहा गया है कि, "अभी तक, सबूत बताते हैं कि प्रदर्शनकारी मालदीव की प्रोग्रेसिव पार्टी (पीपीएम) के कार्यालय से ली गई वस्तुओं का उपयोग कर रहे थे." पीपीएम पार्टी का नेतृत्व मालदीव के राष्ट्रपति यामीन कर रहे हैं, जो अपने भारत विरोधी विचारों के लिए जाने जाते हैं और तथाकथित भारत से बाहर अभियान का नेतृत्व करते हैं. अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने स्पष्ट रूप से चीन समर्थक रुख अपनाया था, जिसे देश में ऋण संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
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