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पाकिस्तान अभी आईएमएफ से लेकर दुनिया के कई देशों से कर्ज और मदद की गुहार लगा रहा है।
वॉशिंगटन: चीन के कर्ज जाल में श्रीलंका की तरह से बुरी तरह से फंसे पाकिस्तान को अमेरिका ने आगाह किया है। साथ ही पाकिस्तान सरकार को नसीहत दी है कि वह चीन से कर्ज राहत देने के लिए अपील करे। चीन से पाकिस्तान को दिए कर्ज को रीस्ट्रक्चर करने के लिए भी कहे। अमेरिका ने पाकिस्तान को यह सलाह भीषण बाढ़ को देखते हुए दी है। पाकिस्तान ने चीन से 14.6 अरब डॉलर का भारी भरकम कर्ज ले रखा है। हालत यह है कि पाकिस्तान के डिफाल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है।
पाकिस्तान में आई भयानक बाढ़ में अब तक 1600 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। यही नहीं पाकिस्तान को इस बाढ़ से 28 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है। पाकिस्तान का एक तिहाई हिस्सा अभी भी बाढ़ के नीचे दबा हुआ है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के साथ मुलाकात के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, 'मैं पाकिस्तानी सहयोगी से अपील करुंगा कि वह चीन के साथ कर्ज में राहत और उसे रीस्ट्रक्चर करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात करें ताकि पाकिस्तान बाढ़ से जल्द से जल्द उबर सके।'
चीन ने श्रीलंका और पाकिस्तान को 26 अरब डॉलर का कर्ज दिया
पाकिस्तान को पेरिस क्लब में शामिल देशों को 1.1 अरब डॉलर चुकाने हैं। जापान, फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका जैसे समृद्ध देशों से पाकिस्तान ने 10 अरब डॉलर का कर्ज ले रखा है। वहीं पाकिस्तान को गैर पेरिस क्लब में शामिल देशों का 16 अरब डॉलर लौटाना है। इसमें से अकेले चीन का ही कर्ज 14.6 अरब डॉलर है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने अपने कुल कर्ज का एक तिहाई अपने आयरन ब्रदर चीन से ले रखा है। चीन ने पिछले 5 साल में श्रीलंका और पाकिस्तान को करीब 26 अरब डॉलर का कर्ज दिया है।
चीन के कर्ज के बोझ से दबकर श्रीलंका जहां डिफाल्ट हो गया है, वहीं अब पाकिस्तान के भी हालात ऐसे ही होते दिखाई दे रहे हैं। अब पाकिस्तानी सरकार ड्रैगन से कर्ज के मुद्दे पर बात करने जा रही है। पाकिस्तान में चीन सीपीईसी परियोजना चला रहा है जिसे कर्ज का जाल कहा जाता है। इसके तहत अब तक 25 अरब डॉलर के काम पूरे हो चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने चीन के साथ सीपीईसी के दूसरे चरण में लिए जाने वाले लोन को लेकर पाकिस्तान को आगाह किया है। पाकिस्तान अभी आईएमएफ से लेकर दुनिया के कई देशों से कर्ज और मदद की गुहार लगा रहा है।
Neha Dani
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