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इसमें सतह से हवा में शत्रु के रडार स्टेशनों का पता लगाने और ऐसी जगहों पर घुस कर वार करने की क्षमता है।
रूस यूक्रेन जंग में दुनिया के खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल शुरू हो गया है। यूक्रेन युद्ध में एक बार फिर रूसी डिफेंस मिसाइल सिस्टम एस-400 सुर्खियों में है। यह दावा किया जा रहा है कि अमेरिकी एजीएम-400 HARM मिसाइल का इस्तेमाल रूसी S-400 के रडार को प्रभावित करने के लिए किया जा रहा है। हालांकि, यह दावा किया जा रहा है कि अमेरिकी मिसाइल इस लक्ष्य को पाने में नाकाम रही है। आइए जानते हैं कि आखिर ये पूरा मामला क्या है। क्या रूस एस-400 के आगे अमेरिका की ये मिसाइल सच में बौनी साबित हो रही है। क्या भारत का एस-400 लेने का फैसला सही था। इस पर रक्षा विशेषज्ञों की क्या राय है। इसके साथ यह भी जानेंगे कि महायुद्ध में S-400 का क्या उपयोग है। अमेरिकी एजीएम-400 HARM मिसाइल की क्या खूबियां हैं।
यूक्रेन जंग में क्यों सुर्खियों में है एस-400 और अमेरिका की ये मिसाइल
यूक्रेन युद्ध में यूक्रेनी सेना रूसी एस-400 डिफेंस मिसाइल सिस्टम में लगे रडार सिस्टम को ध्वस्त करने के लिए अमेरिकी HARM मिसाइल का इस्तेमाल कर रही है। यूक्रेनी सेना यह प्रयास लगातार तीन सप्ताह से कर रही है, लेकिन वह अपने लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रही है। अब अमेरिकी HARM मिसाइल की क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं। द यूरेशिया डेली के एक रूसी संस्करण ने बताया कि पिछले तीन हफ्तों से यूक्रेनी सेना एस-400 और Buk-M3 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम को ध्वस्त करने के लिए अमेरिकी एजीएम-400 एचएआरएम मिसाइलों को इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है। हालांकि, यूक्रेनी सेना अभी तक इस प्रयास में नाकाम रही है। बता दें कि ये मिसाइल सिस्टम खेरसान और नोवा काखोवका पर वायु रक्षा छत्र प्रदान करने के लिए तैनात हैं।
कैसे काम करती है ये एस-400 मिसाइल
1- यह मिसाइल प्रणाली दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों में से एक मानी जाती है। यह मिसाइल प्रणाली रूस में 2007 से सेवा में है। रूसी S-400 को सतह से हवा में मार करने वाला दुनिया का सबसे सक्षम मिसाइल सिस्टम माना जाता है।
2- सतह से हवा में प्रहार करने में सक्षम S-400 को रूस ने सीरिया में तैनात किया है। S-400 मिसाइल प्रणाली S-300 का उन्नत संस्करण है, जो इसके 400 किलोमीटर की रेंज में आने वाली मिसाइलों एवं पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को नष्ट कर सकता है। इसमें अमेरिका के सबसे उन्नत फाइटर जेट F-35 को भी गिराने की क्षमता है।
3- S-400 रक्षा प्रणाली में एक साथ तीन मिसाइलें दागी जा सकती हैं। इसके प्रत्येक चरण में 72 मिसाइलें शामिल हैं, जो 36 लक्ष्यों पर सटीकता से मार करने में सक्षम हैं। इस रक्षा प्रणाली से विमानों सहित क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों तथा जमीनी लक्ष्यों को भी निशाना बनाया जा सकता है।
4- चीन ने 2014 में छह S-400 के लिए तीन बिलियन डालर का रक्षा सौदा रूस के साथ किया था और चीन को अब इनकी आपूर्ति भी होने लगी है। दिसंबर 2017 में तुर्की ने ऐसी दो प्रणालियों के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
भारत के लिए क्यों खास है एस-400
भारत के लिए भी ये मिसाइल बेहद खास है। लंबी दूरी की रक्षा मिसाइल प्रणाली S-400 की खरीद को लेकर भारत और रूस के बीच हुआ यह समझौता सामरिक दृष्टि से बेहद महत्त्वपूर्ण है। भारत के लिए S-400 की तैनाती का मतलब है कि जब पाकिस्तानी विमान अपने हवाई क्षेत्र में उड़ रहे होंगे तब भी उन्हें ट्रैक किया जा सकेगा। जंग की स्थिति में इसे केवल पांच मिनट में सक्रिय किया जा सकता है। इसे भारतीय वायुसेना द्वारा संचालित किया जाएगा तथा इससे भारत के हवाई क्षेत्र में सुरक्षा को सुदृढ़ किया जा सकेगा। नाटो में इस मिसाइल प्रणाली को SA-21 Growler नाम दिया गया है और वह अपने सदस्य देशों में इस प्रणाली को तैनात करने के खिलाफ है।
यूक्रेन जंग में हुआ AGM-88 HARM का इस्तेमाल
1- अमेरिका ने यूक्रेन को कुछ विकिरण-विरोधी मिसाइलों (Anti-Radar Missile) की आपूर्ति की है। अमेरिकी रक्षा विभाग ने हाल में इसकी पुष्टि की है। इन्हें यूक्रेन की वायु सेना के कुछ विमानों से दागा जा सकता है। इस बयान ने रूस के उन आरोपों को सही साबित कर दिया है कि नाटो ( NATO) की हथियारों की सूची का हिस्सा एक अमेरिकी एंटी-रडार मिसाइल एजीएम-88 हार्म (AGM-88 HARM) का इस्तेमाल जंग के दौरान किया गया है।
2- AGM-88 HARM हवा से सतह पर मार करने वाली एक एंटी रडार मिसाइल है। 'HARM' का विस्तृत नाम हाई-स्पीड एंटी-रेडिएशन मिसाइल है। यह लड़ाकू विमानों से दागी जाने वाली एक मिसाइल है। इसमें सतह से हवा में शत्रु के रडार स्टेशनों का पता लगाने और ऐसी जगहों पर घुस कर वार करने की क्षमता है।
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