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अभी तक इस्लामिक सिस्टम को लागू नहीं किया गया है जिसका वादा उस समय किया गया था।'
अफगानिस्तान में रहकर हमले कर रहे तहरीक-ए-तालिबान (TTP) के आतंकियों के सरगना ने पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार को उखाड़ फेंकने की खुली धमकी दी है। टीटीपी के चीफ मुफ्ती नूर वली मेहसूद ने कहा है कि हम पाकिस्तान में एक इस्लामिक सरकार बनाना चाहते हैं। उसने यह भी कहा कि लोकतंत्र गैर इस्लामिक है और हमारा संगठन इसके खिलाफ जिहाद करेगा। उसने यह भी कहा कि पाकिस्तान में कोई लोकतंत्र नहीं है, वहां केवल सैन्य शासन है।
नूर वली मेहसूद ने कहा, 'टीटीपी इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान की एक उपशाखा है। हम पाकिस्तान में एक इस्लामिक सरकार को स्थापित करना चाहते हैं। हमारा जिहाद गैर इस्लामिक सिस्टम जिसे लोकतंत्र कहा जाता है, उसके खिलाफ शुरू हुआ है। पाकिस्तान में कोई भी असली लोकतंत्र नहीं है बल्कि वहां पर स्थायी रूप से सेना का शासन है।' टीटीपी चीफ ने कहा कि अगर आप इस्लामिक शासन चाहते हैं तो उसके लिए कुछ संसाधनों और सबसे बढ़कर एकता की जरूरत है। टीटीपी उस एकता का नाम है।
TTP Chief Mufti Noor Wali Mehsud: TTP is an offshoot of Islamic Emirate of Afghanistan (IEA). We want to establish an Islamic govt in Pakistan. Our jihad is against the un-Islamic system called democracy, though there is no real democracy but permanent military rule in Pakistan. pic.twitter.com/xxBTgOql9e
— SAMRI (@SAMRIReports) August 31, 2022
'मुस्लिमों की ताकत को दो मुल्कों हिंदुस्तान और पाकिस्तान में बांटा'
टीटीपी सरगना ने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने देश में खुद से ऐसा सिस्टम बनाया है जिससे उसका राज चलता रहे। उसने कहा कि हमारे मुजाहिद्दीनों ने पाकिस्तान में इस्लामिक शासन लाने के लिए जान दी है। हमें इस उद्देश्य के लिए वफादारी दिखाना होगा और एकता बनाए रखना होगा। नूर वली ने कहा, 'अंग्रेजों ने इस उपमहाद्वीप को टुकड़ों में बांट दिया। मुस्लिमों की ताकत को दो मुल्कों हिंदुस्तान और पाकिस्तान में बांट दिया। भारत में मुसलमानों की तादाद पाकिस्तान से भी ज्यादा है।
नूर वली ने कहा, 'भारतीय मुस्लिमों ने जिहाद शुरू किया और कुर्बानी दी लेकिन वहां पर मुस्लिमों में कोई एकता नहीं है। यही वजह है कि वे अपने उलमा ऑफ हिंद के लक्ष्य को हासिल नहीं कर सके जिसके लिए उन्होंने संघर्ष किया। उसी तरह से पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर केवल नाममात्र का स्वतंत्र हुआ है। पाकिस्तान में अभी तक इस्लामिक सिस्टम को लागू नहीं किया गया है जिसका वादा उस समय किया गया था।'
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