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पाकिस्तान में एक के बाद एक धीरे-धीरे अधिकांश विश्वविद्यालयों में लड़कियों के लिए ड्रेसकोड निर्धारित किए जा रहे हैं
पाकिस्तान में एक के बाद एक धीरे-धीरे अधिकांश विश्वविद्यालयों में लड़कियों के लिए ड्रेसकोड निर्धारित किए जा रहे हैं। हजारा यूनिवर्सिटी, एबटाबाद और बच्चा खां विश्वविद्यालय, चारसाडा के बाद पेशावर यूनिवर्सिटी ने भी लड़कियों के लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया है। यही नहीं यहां पर शिक्षिकाओं को भी निर्धारित ड्रेस में ही आना होगा। कोई भी शिक्षिका और छात्राएं बगैर ड्रेस कोड के नहीं आ सकेंगी। ऐसी पाबंदियों के खिलाफ खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के विश्वविद्यालयों में जबर्दस्त विरोध किया गया था। पश्चिमोत्तर पाकिस्तान के दो विश्वविद्यालयों के छात्र ड्रेस कोड के खिलाफ बोल रहे हैं।
चार विश्वविद्यालयों में व्यवस्था लागू
नए ड्रेस कोड में महिलाओं को जींस और मेकअप कर आने रोक लगाई गई हैं, वहीं पुरुषों को बालियां, फटी जींस या शॉर्ट्स नहीं पहनने पर जोर दिया गया। पेशावर में लड़कियों को सफेद रंग के सलवार सूट में आना अनिवार्य किया गया है। अब तक यहां पर चार विश्वविद्यालयों में यह व्यवस्था लागू हो गई है। इन स्थानों पर लड़कियों को चुस्त कपड़े पहनने पर पाबंदी लगाई गई है। कुछ विश्वविद्यालयों में छात्राओं और शिक्षिकाओं को कानों में कुंडल और हाथ में कड़ा पहनने पर भी रोक लगाई गई है। विश्वविद्यालयों में ऐसे फरमान जारी होने पर इंटरनेट मीडिया पर खूब आलोचना हो रही है।
नए ड्रेस कोड का छात्र कर रहे विरोध
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बच्चा खां विश्वविद्यालय की छात्रा हिना ने बताया कि विश्वविद्यालय में आने वाला हर कोई एक परिपक्व वयस्क है। अगर हमारे परिवार के पास कोई दिक्कत नहीं है कि हम कैसे कपड़े पहनते हैं, तो विश्वविद्यालय को हमें पहनने से रोकने का कोई अधिकार नहीं है।
विश्वविद्यालय के एक अन्य छात्र अबस खान ने बताया कि इस तरह के प्रतिबंध पाकिस्तान को एक संकीर्ण देश के रूप में पेश करते हैं। हमारे देश में विश्वविद्यालयों को एक ड्रेस कोड का पालन नहीं करना चाहिए, इसलिए हम अपनी पसंद के अनुसार कपड़े पहन सकते हैं।" अगर किसी के भाई और पिता किसी को एक निश्चित तरीके से कपड़े पहनने से नहीं रोकते हैं, तो विश्वविद्यालय के प्रमुख को क्यों रोक लगानी चाहिए?
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