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मुसलमानों के विश्वास को मजबूत करने पर अपने प्रयासों को केंद्रित किया है।
सऊदी अरब ने तबलीगी और दावा ग्रुप पर प्रतिबंध लगा दिया है जिसे अल अहबाब के नाम से भी जाना जाता है। सऊदी सरकार ने इस ग्रुप को समाज के लिए खतरा और आतंकवाद के द्वारों में से एक बताया है। सऊदी इस्लामिक मामलों के मंत्रालय ने मस्जिद में उपदेशकों को आदेश दिया है कि वे लोगों को तबलीगी जमात के बारे में आगाह करें। सरकार से मस्जिदों से इस संगठन के पथभ्रष्टता, विचलन और खतरे के बारे में बताने को कहा है।
हालांकि यह साफ नहीं है कि सरकार के ट्वीट्स तबलीगी जमात पर निर्देशित थे जो सुन्नी इस्लामिक मिशनरी आंदोलन जो 1927 में मेवात में इस्लामिक विद्वान और शिक्षक मौलाना मुहम्मद इलियास द्वारा शुरू किया गया था। इलियास का कहना था कि मुसलमानों, मुसलमान बनो। यह भी साफ नहीं है कि सऊदी अरब सरकार ने समूह पर प्रतिबंध क्यों लगाया है और क्या तबलीगी जमात के कुछ विचारों और व्याख्याओं के कारण प्रतिबंध लगाया गया है।
कई देशों में जमात पर है प्रतिबंध
2013 में कजाकिस्तान ने तबलीगी जमात को चरमपंथी संगठन बताते हुए प्रतिबंध लगा दिया था। ईरान, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान आदि देशों में भी यह प्रतिबंधित है। हालांकि दारुल उलूम देवबंद ने 12 दिसंबर को एक बयान में सऊदी अरब सरकार के कदम की आलोचना की। कहा कि तबलीगी जमात पर आतंकवाद के आरोप निराधार हैं। सऊदी सरकार से इस मामले पर अपने फैसले की समीक्षा करने और तबलीगी जमात के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई करने से परहेज करने की अपील की है
तबलीगी जमात आंदोलन की जड़ें 150 से अधिक देशों में सक्रिय है। रिपोर्ट्स के मुताबिक तबलीगी मुख्य रूप से मिशनरी थे जिन्होंने मुस्लिम समाज को बदलने और मुसलमानों को सच्चाई के रास्ते पर वापस लाने की मांग की थी। रिपोर्ट्स बताती हैं कि जमात से जुड़े लोगों का नाम आतंकवाद और कट्टरपंथ से संबंध रखने में आता रहा है। जेम्सटाउन फाउंडेशन की रिपोर्ट बताती है कि जमात ने परंपरागत रूप से राजनीति को छोड़ दिया है और मुसलमानों के विश्वास को मजबूत करने पर अपने प्रयासों को केंद्रित किया है।
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