विश्व ने प्राकृतिक आपदा का शिकार होने वाले गरीब देशों की क्षतिपूर्ति करने का फैसला किया है। वायुमंडल के बढ़ते तापमान का दुष्प्रभाव झेलने वाले देशों के लिए इस तरह का निर्णय पहली बार लिया गया है। रविवार सुबह तक चली लंबी बैठक में औपचारिक रूप से यह फैसला हुआ। लेकिन प्राकृतिक आपदा के मूल कारण वायुमंडल के बढ़ रहे तापमान को नियंत्रित करने पर कोई औपचारिक निर्णय नहीं हो सका, न ही तेल, गैस और कोयले के उपयोग को कम करने की कोई रूपरेखा बनी।
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गरीब देशों की मदद पर बनी बात
संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन (सीओपी 27) संपन्न होने के तय कार्यक्रम 18 नवंबर से एक दिन के लिए बढ़ाया गया था। 19 नवंबर को देर रात तक प्राकृतिक आपदा की चपेट में आने वाले गरीब देशों की मदद पर ज्यादातर विकसित (संपन्न) देश सहमत हो गए थे लेकिन औपचारिक निर्णय नहीं हो सका था। पूरी रात चली बैठक के बाद रविवार (20 नवंबर) तड़के गरीब देशों की मदद पर औपचारिक मुहर भी लग गई। हालांकि इस निर्णय पर अमेरिका को शुरू से आपत्ति थी।
भारत ने निर्णय का किया स्वागत
भारत ने निर्णय का स्वागत करते इसे लंबे समय से प्रतीक्षित कदम बताया है। हालांकि विकसित देशों के इस निर्णय से भारत, चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका जैसे विकासशील देशों को मदद मिलने की संभावना बहुत कम है। ताजा निर्णय गरीब और अत्यंत गरीब देशों के लिए लाभकारी होगा। गरीब देशों के प्रतिनिधि के रूप में पाकिस्तान, मालदीव और कुछ अन्य देशों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। 12 हजार से कुछ ज्यादा आबादी वाले छोटे से देश टूवालू के वित्त मंत्री सेवे पेनियू ने कहा कि इस तरह की सहायता के लिए हम तीन दशकों से मांग कर रहे थे।