नेपाल में हाल में हुए चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने के कारण वहां सरकार बनाना मुश्किल हो रहा है। रविवार को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राजनीतिक दलों को सात दिनों में सरकार गठित करने का निर्देश दिया। समचार एजेंसी एआइएएनएस के मुताबिक, सरकार गठन को लेकर राजनीतिक दलों की जो गतिविधियां हैं उनके मद्देनजर संकेत मिल रहे हैं कि निवर्तमान प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और नेपाल के माओवादी केंद्र (सीपीएन) के नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड प्रधानमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं।
चुनाव में नहीं मिली किसी राजनीतिक दल को बहुमत
नेपाल की 275 सदस्यों वाली संसद (प्रतिनिधि सभा) में सरकार बनाने के लिए 138 सांसदों का समर्थन आवश्यक है। देश में सत्तारूढ़ रहे गठबंधन को चुनाव में बहुमत के लिए आवश्यक सीटों में से महज दो सीटें कम मिली हैं। नेपाल में राष्ट्रपति को अधिकार है कि चुनाव में किसी भी दल को बहुमत न मिलने पर वह किसी भी सांसद को प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकती हैं। बाद में मनोनीत प्रधानमंत्री को दो या इससे ज्यादा दलों के सांसदों में से समर्थन जुटाना होता है और 30 दिन के भीतर अपनी सरकार का बहुमत साबित करना होता है। माना जा रहा है कि मौजूदा परिस्थितियों में शेर बहादुर देउबा के लिए बहुमत जुटाना आसान होगा।
नेता चुनने के लिए राष्ट्रपति दे सकती है अतिरिक्त समय
राष्ट्रपति कार्यालय ने रविवार शाम अधिसूचना जारी कर राजनीतिक दलों को अपना नेता चुनने के लिए सात दिनों का समय दे दिया। इसके बाद जरूरत समझने पर राष्ट्रपति नेता चुनने के लिए कुछ अतिरिक्त समय भी दे सकती हैं या फिर स्वयं प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकती हैं। उल्लेखनीय है कि नेपाल में 20 नवंबर को मतदान हुआ था। मतगणना के बाद पिछले सप्ताह चुनाव परिणामों की घोषणा की गई और उसकी औपचारिक जानकारी राष्ट्रपति को दी गई थी।