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पाकिस्तान में आर्थिक संकट लगातार बढ़ रहा है और सरकार का कहना है कि यदि हमें श्रीलंका जैसे हालातों से बचना है तो कड़े फैसले लेने होंगे।
पाकिस्तान में आर्थिक संकट इतना गहरा हो गया है कि अब आम नागरिकों से पेट्रोल बचाने और कम चाय पीने जैसी अपीलें की जा रही हैं। अब पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक ने अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम करने की सलाह दी है ताकि पेट्रोल की बचत की जा सके। बैंक ने कर्मचारियों से कहा है कि वे वर्चुअल मीटिंग में शामिल हों और सप्ताह में दो दिन घर से ही काम करें। बैंक का कहना है कि सरकार के पास पेट्रोल और डीजल खरीदने के लिए पैसों की कमी है, ऐसे में बचत करना जरूरी हो गया है। पाकिस्तान में आर्थिक संकट लगातार बढ़ रहा है और सरकार का कहना है कि यदि हमें श्रीलंका जैसे हालातों से बचना है तो कड़े फैसले लेने होंगे।
इसी कड़ी में पाकिस्तान की ओर से नागरिकों को पेट्रोल और डीजल बचाने की सलाह दी जा रही है ताकि डॉलरों की कमी न रहे। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने गुरुवार को कर्मचारियों से कहा कि वर्चुअल मीटिंग्स में आएं। इसके अलावा ऑफिस आने के लिए कार पूलिंग को प्राथमिकता दें और एसी के इस्तेमाल में कमी लाएं। इसके अलावा बैंक की ओर से फर्नीचर की खरीद पर रोक लगा दी है। यही नहीं कर्मचारियों के ट्रैवल पर भी रोक लगाई है ताकि पैसों की बचत की जा सके। बैंक ने कहा कि हमने ये फैसले इसलिए लिए हैं ताकि काम प्रभावित न हो और पैसों की बचत भी की जा सके।
कराची, लाहौर समेत कई शहरों में जल्दी बंद हो रहे हैं बाजार
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने कहा कि हम बैंकिंग इंडस्ट्री और अन्य संबंधित पक्षों से अपील करते हैं कि वे ईंधन की ज्यादा से ज्यादा बचत करें। इससे पहले पाकिस्तान की सरकार ने भी कई कराची, लाहौर, इस्लामाबाद और रावलपिंडी समेत कई शहरों में बाजारों को जल्दी बंद करने का आदेश दिया है। इसके अलावा शॉपिंग मॉल और फैक्ट्रियों को भी शाम को जल्दी बंद करने का आदेश दिया गया है। बता दें कि बीते एक महीने के अंदर ही शहबाज शरीफ सरकार की ओर से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 83 फीसदी तक का इजाफा किया जा चुका है।
बजट भी IMF के कहने पर बनाना पड़ रहा
पाकिस्तान के आर्थिक संकट को हम इस बात से भी समझ सकते हैं कि नेशनल असेंबली में पेश बजट को सत्ताधारी गठबंधन में शामिल शेरी रहमान ने ही आईएमएफ का बजट बताया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान में आर्थिक हालात बेहद खराब हैं और मजबूरी में हमें बजट तैयार करने के लिए आईएमएफ की शर्तों को मानना पड़ रहा है।
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