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भारत ने यूक्रेन संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष आपात सत्र के दौरान कश्मीर मुद्दा उठाने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की है।
भारत ने कहा है कि इस्लामाबाद के ऐसे बयान अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सामूहिक निंदा के पात्र हैं। साथ ही कहा कि यह बार-बार झूठ का सहारा लेकर सहानुभूति पाने की उसकी मानसिकता को दर्शाता है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने मतदान को लेकर भारत के रुख पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा, अध्यक्ष महोदय मैं अपनी बात खत्म करने से पहले कहना चाहती हूं कि हमने आश्चर्यजनक रूप से एक बार फिर एक प्रतिनिधि को इस मंच का दुरुपयोग करने और मेरे देश के खिलाफ झूठी एवं बेबुनियाद टिप्पणी करने का प्रयास करते देखा है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का पूरा क्षेत्र भारत का अभिन्न व अविभाज्य हिस्सा है और हमेशा रहेगा, फिर चाहे पाकिस्तान का प्रतिनिधि जो भी माने या कहे। हम पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को रोकने का आह्वान करते हैं, ताकि हमारे नागरिक जीवन जीने और आजादी के अपने अधिकार का आनंद ले सकें। रूस के अवैध जनमत संग्रह और यूक्रेन के दोनेत्स्क, खेरसॉन, लुहान्स्क और जापोरिजिया क्षेत्रों पर कब्जा करने के उसके प्रयासों की निंदा करने वाले प्रस्ताव पर बुधवार को 193 सदस्यीय महासभा में मतदान हुआ था। इस प्रस्ताव का अधिकांश देशों ने समर्थन किया है।
यूक्रेन युद्ध बुलाए गए थे सत्र
यूक्रेन युद्ध पर बुलाए गए महासभा के विशेष आपातकालीन सत्र में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने कश्मीर का राग अलापते हुए कहा था कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आत्मनिर्णय का अधिकार उन लोगों पर लागू होता है, जो विदेशी या औपनिवेशिक नियंत्रण में हैं और जिन्होंने अब तक आत्मनिर्णय के अधिकार का प्रयोग नहीं किया है, जैसा कि जम्मू-कश्मीर के मामले में है। उन्होंने कहा था कि आत्मनिर्णय के अधिकार का अभ्यास सैन्य कब्जे से मुक्त वातावरण में और निष्पक्ष तत्वावधान में संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में किया जाना चाहिए।
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