कराची पुलिस प्रमुख के कार्यालय पर दुस्साहसिक हमला करने वाले भारी हथियारों से लैस पाकिस्तानी तालिबान आतंकवादियों की पहचान अफगानिस्तान की सीमा से लगे पश्चिमोत्तर पाकिस्तान के दो कबायली जिलों के निवासियों के रूप में की गई है। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी।
यह घटना शुक्रवार को स्थानीय समयानुसार शाम 7.10 बजे हुई, जिस दौरान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों ने देश के सबसे अधिक आबादी वाले शहर में स्थित कराची पुलिस कार्यालय (केपीओ) की पांच मंजिला इमारत पर धावा बोल दिया।
प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने अपने प्रवक्ता मोहम्मद खुरासानी द्वारा जारी एक बयान में हमले की जिम्मेदारी ली है।
पाकिस्तान पुलिस कमांडो और अर्धसैनिक बलों के बीच घंटों तक चले ऑपरेशन में टीटीपी के तीन आतंकवादी मारे गए और तीन सुरक्षाकर्मियों सहित चार अन्य को भी अपनी जान गंवानी पड़ी।
पुलिस के अनुसार, आतंकवादी जाला नूर और किफायतुल्लाह की पहचान क्रमश: उत्तरी वजीरिस्तान और लक्की मरवत जिलों के निवासी के रूप में हुई है।
दोनों आतंकवादियों ने हमले से पहले एक महीने तक ठिकाने की पूरी रेकी की थी।
उन्होंने कहा कि वे पुलिस कार्यालय में अतिरिक्त महानिरीक्षक कार्यालय को निशाना बनाना चाहते थे।
पुलिस ने कथित आतंकवादी किफायतुल्ला के लक्की मरवत जिले के वांडा अमीर गांव में उसके घर पर शनिवार को छापा मारा और उसके परिवार के सदस्यों से पूछताछ की।
किफताउल्लाह (20 वर्ष) पांच महीने पहले घर से भाग गया था और तब से परिवार को उसके ठिकाने के बारे में पता नहीं था।
परिवार के सदस्यों ने कहा कि उन्हें कराची विस्फोट के बाद पाकिस्तान में किफायतुल्लाह की मौजूदगी के बारे में पता चला क्योंकि वे अफगानिस्तान में उसके आने की उम्मीद कर रहे थे।
पुलिस सूत्रों ने कहा कि किफायतुल्लाह एक प्रशिक्षित आतंकवादी था और उसका अफगानिस्तान की लगातार यात्राओं का इतिहास रहा है।
उन्होंने कहा कि वह तालिबान की ओर से अफगान युद्ध में लड़े थे और टीटीपी के टीपू गुल समूह से जुड़े थे।
पाकिस्तान की कानून-प्रवर्तन एजेंसियां और सिंध सरकार उन गंभीर सुरक्षा चूकों का सुरक्षा लेखा परीक्षण करेगी जिसके कारण यह हमला हुआ।
शनिवार को आई एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षा अधिकारी इस बात से सहमत थे कि हमले ने कई सवाल खड़े किए हैं और एक 'उचित अभ्यास' की जरूरत है, जिसमें 'सुरक्षा ऑडिट' भी शामिल है।