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काबुल हमले का सामने आया पाक कनेक्शन, साजिश में शामिल था ISIS-K का चीफ असलम फारूकी

Neha Dani
27 Aug 2021 6:05 AM GMT
काबुल हमले का सामने आया पाक कनेक्शन, साजिश में शामिल था ISIS-K का चीफ असलम फारूकी
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अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र में आतंकवादी समूह अलग-अलग ब्रांड नामों के साथ काम करते हैं. लेकिन उनका कारखाना पाकिस्तान ही है.

काबुल एयरपोर्ट के बाहर हुए धमाकों की जिम्मेदारी 'इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत' (ISIS-K) ने ली है. इसके संबंध खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (Islamic State) से हैं. इस्लामिक स्टेट और तालिबान के बीच अफगानिस्तान में ठनी हुई है. वहीं, ISIS-K या कहें ISKP के प्रमुख असलम फारूकी (Aslam Farooqui) का मामला कुछ ऐसा है, जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है. दरअसल, हर बार की तरह इस बार भी आतंकी संगठनों के लिंक पाकिस्तान (Pakistan) से जुड़ते हुए नजर आ रहे हैं. बता दें कि काबुल हमले में 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ISKP ने आत्मघाती हमलावरों में से एक के नाम और फोटो के साथ उसकी पहचान जारी की है. इस आतंकी पहचान अब्दुल रहमान अल लोगारी के रूप में हुई है. इसने तालिबान और अमेरिकी सुरक्षा बलों का घेरा तोड़ते हुए इस हमले को अंजाम दिया. ISKP ने बताया है कि इस हमले का मकसद अमेरिकी सैनिकों और उनके सहयोगियों को निशाना बनाना था. काबुल एयरपोर्ट हमले से पता चलता है कि आने वाले समय में अफगानिस्तान आतंकियों और आतंकवाद का दलदल बना रहेगा. ISKP के संबंध रावलपिंडी से हैं. काबुल गुरुद्वारा पर 27 मार्च, 2020 को हमला करने वाले मुख्य आरोपी असलम फारूकी ने इसका खुलासा किया था.
लश्कर-ए-तैयबा के साथ भी रहे हैं असलम फारूकी के रिश्ते
अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशायल (NDS) ने काबुल गुरुद्वारा हमले के आरोपी और ISKP के अमीर मावलवी अब्दुल्ला उर्फ असलम फारूकी को चार अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया. पाकिस्तानी नागरिक फारूकी के पहले लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के साथ रिश्ते थे. काबुल और जलालाबाद में हक्कानी नेटवर्क के साथ मिलकर फारूकी आतंक का नेटवर्क चलाता था. इसके बाद असलम फारुकी ने अप्रैल 2019 में मावलवी जिया-उल-हक उर्फ अबु उमर खुरासानी की जगह ली और ISKP प्रमुख बन गया. पाक-अफगान सीमा पर ओरकजई एजेंसी के एक ममोजई कबायली फारूकी को चार अन्य पाकिस्तानी नागरिकों के साथ गिरफ्तार किया गया था.
पाकिस्तान को सताया आतंकी के साथ रिश्ते की जानकारी सामने आने का सच
वहीं, तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने के बाद, फारूकी को अन्य आतंकवादियों की तरह अफगान जेलों से रिहा किया गया था. वह आखिरी बार बगराम जेल में बंद था. फारूकी के बारे में दिलचस्प बात ये है कि भारत ने जब फारूकी से पूछताछ के लिए मंजूरी मांगी थी तो गठबंधन बलों ने इससे इनकार कर दिया था. वहीं, पाकिस्तान ने ISKP प्रमुख की हिरासत की मांग की थी. इसने कहा था कि वह पाकिस्तान विरोधी गतिविधियों में शामिल था, इस वजह से उसे पाकिस्तान को सौंपा जाए. पाकिस्तान ने इस मामले में अफगान राजदूत को समन भी किया था. दरअसल, इस्लामाबाद को डर था कि ISKP प्रमुख कहीं पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को न उगल दे.
अलग-अलग आतंकी संगठनों के लिए पाकिस्तान बना हुआ है पनाहगाह
हालांकि, पाकिस्तान और ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों के बीच संस्थागत चैनलों की वजह से फारूकी से इस मामले पर कभी पूछताछ नहीं हो पाई. तत्कालीन अफगान सरकार ने पाकिस्तानी मांग को खारिज कर दिया. इसने ये स्पष्ट कर दिया कि फारूकी पर अफगान कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा क्योंकि उसने हजारा शियाओं और सिखों के खिलाफ अपराध किए थे.
भले ही तालिबान पाकिस्तान में 'पाकिस्तान तहरीक-ए-तालिबान' (TTP) की मौजूदगी को मान्यता नहीं देता है. लेकिन दोनों आतंकवादी समूह डूरंड लाइन्स के दोनों किनारों पर अमेरिका के दुश्मन के रूप में काम करते हैं. फारूकी के मामले से पता चलता है कि अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र में आतंकवादी समूह अलग-अलग ब्रांड नामों के साथ काम करते हैं. लेकिन उनका कारखाना पाकिस्तान ही है.


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