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NYT बोला- कमजोर पड़ोसी पर दिखा रहे जोर, गार्जियन ने लिखा- हमसे ही मिला रूस को युद्ध का बढ़ावा

Subhi
25 Feb 2022 12:45 AM GMT
NYT बोला- कमजोर पड़ोसी पर दिखा रहे जोर, गार्जियन ने लिखा- हमसे ही मिला रूस को युद्ध का बढ़ावा
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रूस ने गुरुवार सुबह यूक्रेन पर हमला बोल दिया। इस घटना से पूरी दुनिया सकते में है। यूरोप, अमेरिका और एशिया के कई देश अभी भी रूस की इस हरकत पर प्रतिक्रिया देने पर विचार कर रहे हैं।

रूस ने गुरुवार सुबह यूक्रेन पर हमला बोल दिया। इस घटना से पूरी दुनिया सकते में है। यूरोप, अमेरिका और एशिया के कई देश अभी भी रूस की इस हरकत पर प्रतिक्रिया देने पर विचार कर रहे हैं। शुरुआत में रूस को लेकर कुछ प्रतिबंधों का एलान किया गया है, हालांकि ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपिय संघ के देशों की तरफ से अभी और सख्ती दिखाए जाने की संभावना है। इस बीच दुनियाभर की मीडिया ने भी यूक्रेन संकट को लेकर अपने संपादकीय में विचार व्यक्त किए हैं। जहां न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा है कि रूस ने एक कमजोर पड़ोसी पर बेशर्म हमला किया है, तो वहीं ब्रिटिश अखबार द गार्जियन ने कहा है कि रूस को इस युद्ध में जो मदद मिल रही है, उसके लिए ब्रिटेन ही जिम्मेदार है।

क्या बोले दुनियाभर के अखबार?

1. न्यूयॉर्क टाइम्स

अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा, "एक कमजोर पड़ोसी पर इस बेशर्म हमले का कोई उचित तर्क नहीं हो सकता। किसी ने भी व्लादिमीर पुतिन को अपने पड़ोसी देशों की किस्मत का फैसला करने का अधिकार नहीं दिया है। उनकी आक्रामकता के यूक्रेन पर गंभीर परिणाम होंगे और यह पश्चिम के लिए दर्दनाक होगा। इसके नतीजे रूस को भी भुगतने पड़ेंगे, जिसका विकास अब ठहर सकता है।"

2. द गार्जियन

द गार्जियन ने अपने संपादकीय में कहा, "जिस तरह से ब्रिटेन ने रूस के अमीरों के धन शोधन (लॉन्ड्रिंग) में मदद की है और उस धन का इस्तेमाल ही युद्ध में हो रहा है, इससे साफ है कि युद्ध में ब्रिटेन ने रूस की मदद की है। हमने भ्रष्टाचार के जरिए रूस से आने वाले धन से नजरें फेर लीं। बल्कि यह कहना चाहिए कि हमने रूसी धन को अपने राजनीति के पहियों को चलाने वाले तेल की तरह इस्तेमाल किया है।"

3. ग्लोबल टाइम्स

चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तरफ से जो फैसले लिए गए, उनसे पूरी दुनिया में हलचल मची है। लेकिन असल में यह मुद्दा काफी खींच दिया गया है। ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिका को घेरते हुए कहा कि वह लगातार रूस को सीमित रखने की कोशिश कर रहा है, जिसकी वजह से रूस को समझ आ गया कि उसकी सुरक्षा जरूरतें क्या हैं। इसी असंतुष्टि का असर है यूक्रेन संकट, जिससे स्थितियां लगातार बिगड़ती जा रही हैं।

4. द डॉन

पाकिस्तान के अखबार द डॉन ने भी रूस-यूक्रेन प्रतिबंध पर टिप्पणी की है। अखबार ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के रूस दौरे के मद्देनजर इस मुद्दे पर सावधान रहने की जरूरत बताई। अखबार ने लिखा, "पीएम इमरान खान को काफी सावधानी दिखानी होगी, खासकर ऐसे वक्त जब पश्चिमी देश क्रेमलिन को यूक्रेन संकट को बढ़ावा देने और आक्रमण का जिम्मेदार बता रहे हैं।" संपादकीय में कहा गया, "वैसे तो इमरान ने अपने दौरे की टाइमिंग को लेकर शंकाओं को दूर करने की कोशिश की है, लेकिन पश्चिम से पाकिस्तान के रिश्ते जरूर प्रभावित होंगे। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह एक दोधारी तलवार है जिस पर सरकार को संभल कर चलना होगा।"

5. सीएनएन

अमेरिका के मीडिया ग्रुप सीएनएन ने भी रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर टिप्पणी की है। इसमें कहा गया है कि रूस और यूक्रेन के विवाद के बीच राष्ट्रपति जो बाइडन के पास मजबूत राजनीतिक साथ नहीं है। सीएनएन के मुताबिक, बाइडन खुद को जकड़ी हुई राजनीतिक स्थिति में पा रहे हैं। विदेश नीति पर तो बाइडन अब भी अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की जल्दबाजी में की गई वापसी की आलोचना से ही जूझ रहे हैं। चैनल के एडिटर ने कहा कि रूस के इस आक्रमण का असर अमेरिका और पूरी दुनिया पर पड़ेगा। अमेरिका के नेतृत्व को चुनौती मिलने के साथ ही हमले की वजह से आजाद विश्व और अमेरिका को कीमत चुकानी पड़ेगी। हालांकि, यह उन्हें ऐसी परेशानी से नहीं गुजरना होगा, जैसी समस्याओं से यूक्रेन के लोग गुजर रहे हैं।


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